Shubh Muhoort 2021: 11 जुलाई को रवि-पुष्य योग, शुभ कार्य के लिए है सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त

हिंदू धर्म में शुभ मुहूर्त का विशेष महत्व होता है।

Update: 2021-07-08 10:46 GMT

हिंदू धर्म में शुभ मुहूर्त का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि शुभ मुहूर्त में किया जाना वाला कोई भी कार्य अवश्य ही सफल होता है। 11 जुलाई, रविवार को रवि-पुष्य का संयोग बन रहा है। खास बात यह है कि इस दिन सर्वार्थसिद्धि योग भी है। ज्योतिष में सभी 27 नक्षत्रों में पुष्य नक्षत्र को बहुत ही शुभ माना गया है। रवि पुष्य योग में सभी तरह के शुभ कार्य और खरीदारी को महामुहूर्त माना गया है। इस शुभ योग में नया कार्य और खरीदारी करने पर घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। साल 2021 का यह पहला और आखिरी रवि पुष्य संयोग है जो 11 जुलाई की सुबह से लेकर रात के करीब 2 बजकर 20 मिनट तक रहेगा। इतने देर तक शुभ संयोग होने से इसका महत्व काफी बढ़ गया है। इस तरह का संयोग इसके बाद 10 अप्रैल 2022 को बनेगा जब पूरा दिन रवि पुष्य योग रहेगा। हालांकि इसके बाद 8 अगस्त को फिर पुष्य योग बनेगा लेकिन यह सुबह 9 बजे तक ही रहेगा।

खरीदारी के लिए बहुत ही शुभ दिन
शास्त्रों में इस तरह के योग बनने पर इस दिन को बहुत ही शुभ फलदायी माना गया है। रवि पुष्य योग में खरीदारी करने पर घर में सुख-समृद्धि में बढ़ोतरी होती है। इस दिन जमीन, मकान, सोने-चांदी के आभूषण और इलेक्ट्रानिक चीजों को खरीदने को शुभ माना गया है। 11 जुलाई को पुष्य नक्षत्र सूर्योदय होते ही आरंभ हो जाएगा जो रात के करीब 2 बजकर 20 मिनट तक चलेगा। इस दिन शुभ कार्य और हर तरह की खरीदारी करने को शुभ माना गया है। इस नक्षत्र में मंत्र दीक्षा, उच्च शिक्षा ग्रहण, भूमि, क्रय-विक्रय, आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करना, यज्ञ अनुष्ठान और वेद पाठ आरंभ करना, गुरु धारण करना, पुस्तक दान करना और विद्या दान करना और विदेश यात्रा आरंभ करने के लिए श्रेष्ठ होता है।
ज्योतिष में पुष्य नक्षत्र
ज्योतिष में कुल 27 नक्षत्रों के बारे में बताया गया है जिसमें से कुछ नक्षत्र शुभ तो कुछ अशुभ माने गए हैं। 27 नक्षत्रों में पुष्य 8 वां नक्षत्र है। पुष्य नक्षत्र को बहुत ही शुभ माना जाता है। इसी नक्षत्र में भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। जब यह नक्षत्र सप्ताह के गुरुवार और रविवार के दिन पड़ता है तो इस दिन महायोग बनता है। गुरुवार के दिन पुष्य नक्षत्र पड़ने पर इसे गुरु-पुष्य योग और रविवार के दिन पड़ने पर रवि-पुष्य योग कहा जाता है। इन नक्षत्र के स्वामी बृहस्पतिदेव हैं।
ज्योतिष शास्त्र के सभी 27 नक्षत्रों में पुष्य नक्षत्र को सर्वश्रेष्ठ माना गया है, यद्यपि अभिजीत मुहूर्त को नारायण के 'चक्रसुदर्शन' के समान शक्तिशाली बताया गया है फिर भी पुष्य नक्षत्र और इस दिन बनने वाले शुभ मुहूर्त का प्रभाव अन्य मुहूर्तो की तुलना में सर्वश्रेष्ठ माना गया है। यह नक्षत्र सभी अरिष्टों का नाशक और सर्वदिग्गामी है। विवाह को छोड़कर अन्य कोई भी कार्य आरंभ करना हो तो पुष्य नक्षत्र और इनमें श्रेष्ठ मुहूर्तों को ध्यान में रखकर किया जा सकता है। पुष्य नक्षत्र का सर्वाधिक महत्व बृहस्पतिवार और रविवार को होता है बृहस्पतिवार को गुरुपुष्य, और रविवार को रविपुष्य योग बनता है, जो मुहूर्त ज्योतिष के श्रेष्ठतम मुहूर्तों में से एक है। इस नक्षत्र को तिष्य कहा गया है जिसका अर्थ होता है श्रेष्ठ एवं मंगलकारी।
रवि-पुष्य योग और कुछ उपाय
1- रवि पुष्य योग में सुबह सूर्यदेव की पूजा और जल जरूर अर्पित करें। सूर्य देव की पूजा करने से मान-सम्मान और पद-प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है।
2- जिन लोगों की कुंडली में सूर्य की स्थिति कमजोर है वह सूर्य को जल जरूर चढ़ाएं और किसी पंडित को तांबे का दान करें।
3- रवि पुष्य नक्षत्र के दिन चांदी और सोने के आभूषण खरीदना बहुत ही शुभ होता है। मान्यता है इस दिन खरीदारी करने से सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
4- रवि पुष्य योग में सूर्य से संबंधित मंत्रों का जाप करना अत्यंत शुभफलदायी रहेगा।
5- रवि पुष्य योग में भगवान विष्णु संग माता लक्ष्मी की पूजा करें और लघु नारियल को लाल कपड़े में बांधकर धन रखने की जगह में रख दें।
पुष्य नक्षत्र में नहीं किए जाते हैं ये शुभ कार्य
पुष्य नक्षत्र में विवाह को छोड़कर अन्य कोई भी कार्य किया जा सकता है। माता पार्वती के श्राप के कारण पुष्य नक्षत्र में विवाह करना अशुभ माना गया है।
Tags:    

Similar News

-->