श्राद्ध कर्म से पितरों के साथ खुद को भी होता है ये लाभ, पूर्वजों के इस नेक काम में इस बात का रखें ख्याल

पितृपक्ष में अपने पूर्वजों के श्राद्ध कर्म का प्रावधान है. श्राद्ध से सिर्फ पितर ही नहीं प्रसन्न होते हैं, बल्कि इससे आपके कर्म भी दृढ़ होते हैं. यानी पितर तरने के साथ ही स्वयं का भी कल्याण होता है.

Update: 2022-08-23 02:30 GMT

पितृपक्ष में अपने पूर्वजों के श्राद्ध कर्म का प्रावधान है. श्राद्ध से सिर्फ पितर ही नहीं प्रसन्न होते हैं, बल्कि इससे आपके कर्म भी दृढ़ होते हैं. यानी पितर तरने के साथ ही स्वयं का भी कल्याण होता है. एक बात और है कि श्राद्ध कर्म केवल तीन पीढ़ी तक ही किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि मृत आत्मा को पुनः शरीर प्राप्त करने या मोक्ष होने का वेटिंग टाइम तीन पीढ़ी से ज्यादा नहीं होता है.

शास्त्रों में इस बात का उल्लेख

शास्त्रों में कहा गया है कि पितृ पक्ष की समाप्ति पर पितृगण पितृलोक की ओर प्रस्थान करते हैं. धर्म शास्त्रों के अनुसार आश्विन मास कृष्णपक्ष की प्रतिपदा से अमावस्या तक 15 दिनों के लिए पितृगण अपने वंशजों के यहां धरती पर अवतरित होते हैं और आश्विन अमावस्या की शाम समस्त पितृगणों की वापसी उनके गंतव्य की ओर होने लगती है.

माना जाता है कि पितृगण सूर्य चंद्रमा की रश्मियों के कारण वापस चले जाते हैं. ऐसे में वंशजों द्वारा प्रज्वलित दीपों से पितरों की वापसी का मार्ग दिखाई देता है और वह आशीर्वाद के रूप में सुख- शांति प्रदान करते हैं. अतः पितृ विसर्जनी अमावस्या के दिन शाम के समय पितरों को भोग लगाकर घर की दहलीज पर दीपक जला कर प्रार्थना करनी चाहिए कि, हे पितृदेव जाने- अनजाने में जो भी भूल-चूक हुई हो, उसे क्षमा करें और हमें आशीर्वाद दें.

किस राशि वाले पितृपक्ष में क्या करें दान

विष्णु पुराण में पितृपक्ष में दान देने का महत्व बताया गया है। अगर राशियों के अनुसार पूर्वजों की स्मृति में दान किया जाए तो यह लाभप्रद माना जाता है।

मेष- भूमि दान अथवा संकल्प और दक्षिणा सहित मिट्टी के ढेलों का दान विशेष फलदायक अथवा लाल वस्तुओं का दान, तांबा दान करें.

वृष- सफेद गाय का दान अथवा कन्या को खीर खिलाएं.

मिथुन- आंवला, अंगूर, मूंग का दान, मूंग की दाल का दान.

कर्क- नारियल, जौ, धान का दान करें.

सिंह- स्वर्ण, खजूर, अन्न आदि का दान.

कन्या- गुड़, आंवला, अंगूर, मूंगा, मूंग की दाल आदि का दान.

तुला- खीर दान, दूध से बनी वस्तुओं का दान.

वृश्चिक- भूमि दान अथवा संकल्प और दक्षिणा सहित मिट्टी के ढेले का दान.

धनु- राम नाम लिखा वस्त्र, अंगोछा आदि का दान करें.

मकर- तिल के तेल और तिल का दान.

कुंभ- तिल का दान, तेल से बने पदार्थ का दान.

मीन- धार्मिक पुस्तक जैसे गीता आदि का दान करें.

घर के बड़े बुजुर्गों का सम्मान न करने से होता है पितृदोष

यदि आप अपने पितरों के प्रति श्रद्धा नहीं रखते हैं, उनको प्रसन्न नहीं करते हैं तथा घर के बड़े बुजुर्गों का सम्मान नहीं करते हैं और ऐसी भूल पीढ़ी दर पीढ़ी चलती चली आ रही है तो आपकी कुंडली में भी इन कर्मों का असर दिखता है और धीरे धीरे एक भयंकर दोष का निर्माण हो जाता है जिसको कि पितृ दोष कहते हैं.


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