Shiv Ji Vahan Nandi: भगवान शिव के वाहन नंदी किसकी संतान हैं, जन्म से जुड़ी कहानी

Update: 2024-10-17 03:14 GMT
Shiv Ji Vahan Nandi: नंदी को भगवान शिव के निवास स्थान कैलाश का द्वारपाल कहा जाता है. वह शिवजी के वाहन होने के साथ उनके सबसे प्रिय भक्त भी हैं. नंदी को शक्ति-संपन्नता और कर्मठता का प्रतीक माना जाता है| कहते हैं कि जहां भगवान शिव वहां उनके वाहन नंदी होते हैं. इसके अलावा मान्यता यह भी हैं कि अगर आपकी कोई इच्छा है तो उसे आप नंदी जी के कानों में कहा दें तो वह भगवान शिव के पास पहुंच जाती है. शिवालय में भोलेनाथ की मूर्ति के सामने बैल रूपी नंदी जरुर विराजित होते हैं| नंदी को भगवान शिव के निवास स्थान कैलाश का द्वारपाल कहा जाता है. वह शिवजी के वाहन होने के साथ उनके सबसे प्रिय भक्त भी हैं. नंदी को शक्ति-संपन्नता और कर्मठता का प्रतीक माना जाता है|
कथा के अनुसार, प्राचीन काल में शिलाद नाम के एक ऋषि थे जिन्होंने कठोर तपस्या कर भगवान शिव से वरदान नंदी को पुत्र रूप में पाया था. उसके बाद ऋषि शिलाद ने नंदी को वेद-पुराण सभी का ज्ञान दिया|
धार्मिक मान्यता के अनुसार, नंदी जी के कानों में लोग अपनी मनोकामना इसलिए कहते हैं क्योकि भगवान शिव अक्सर तपस्या में लीन रहते हैं. ऐसे में नंदी भक्तों की मनोकामनाएं सुनते हैं और शिव जी तपस्या पूरी होने पर भक्तों की मनोकामनाएं उन्हें बताते हैं|
कैसे बने शिव के वाहनNandi Kaise Bane Shiv Ke Vahan
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार ऋषि शिलाद के आश्रम में दो संत आए और पिता के आदेश पर नंदी जी ने उनकी खूब सेवा की जब वह संत जाने लगे तो उन्होंने ऋषि शिलाद को दिर्घायु की आशीर्वाद दिया, लेकिन नंदी के लिए कुछ नहीं कहा. यह देख ऋषि शिलाद ने सन्यासियों से इसकी वजह पूछी, तो उन्होंने बताया कि नंदी अल्पायु है. अपने पुत्र के लिए ऐसी बातें सुनकर ऋषि शिलाद चिंतित हो गए, तब नंदी ने उन्हें समझाते हुए कहा कि पिताजी आपने मुझे शिव जी की कृपा से पाया है, तो वो ही मेरी रक्षा करेंगे. इसके बाद नंदी ने शंकर जी के निमित्त कठोर तप किया, नंदी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए और उन्हें अपना वाहन बना लिया|
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