Shattila Ekadashi 2021: सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति दिलाती है षटतिला एकादशी,भगवान विष्णु की ऐसे करें पूजा
धर्मग्रंथों में सभी व्रतों में एकादशी के व्रत को सबसे श्रेष्ठ माना जाता है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क: धर्मग्रंथों में सभी व्रतों में एकादशी के व्रत को सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। षटतिला एकादशी माघ माह के कृष्ण पक्ष में आती है। इस बार यह व्रत 7 फरवरी 2021 (रविवार) को रखा जाएगा। एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान होता है।
स्वयं श्री कृष्ण ने बताया महत्व
पद्मपुराण के अनुसार श्री कृष्ण, पाण्डु के ज्येष्ठ पुत्र युधिष्ठिर को इस एकादशी की महिमा का गुणगान करते हुए कहते हैं कि- 'हे नृपश्रेष्ठ! माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी 'षटतिला' या 'पापहारिणी' के नाम से विख्यात है, जो समस्त पापों का नाश करती है। जितना पुण्य कन्यादान, हजारों वर्षों की तपस्या और स्वर्ण दान से मिलता है, उससे अधिक फल षटतिला एकादशी करने से मिलता है। इस व्रत को करने से घर में सुख-शांति का वास होता है एवं मनुष्य को इस लोक में सभी सुखों की प्राप्ति होकर अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है।'
ऐसे करें भगवान विष्णु की पूजा
इस दिन क्षीर सागर में शयन करने वाले श्री नारायण की पूजा का विधान है। जल में तिल और गंगाजल डालकर स्नान करके पवित्र होकर शुद्धभाव से देवाधिदेव श्री नारायण का ध्यान करें। पीले पुष्प, तुलसी, गोपी चन्दन, कपूर, तिल से बने नैवेद्य आदि सामग्री से शंख, चक्र, कमल और गदा धारण करने वाले जगत के पालनहार श्री विष्णु जी की पूजा करें। घी के दीपक और कपूर से प्रभु की आरती उतारें। तत्पश्चात श्री कृष्ण नाम का उच्चारण करते हुए भगवान को विधिपूर्वक पूजकर अर्घ्य प्रदान करें।
अर्घ्य का मंत्र इस प्रकार है-
कृष्ण कृष्ण कृपालुस्त्वमगतीनां गतिर्भव ।
संसारार्णवमग्नानां प्रसीद पुरुषोत्तम ॥
नमस्ते पुण्डरीकाक्ष नमस्ते विश्वभावन ।
सुब्रह्मण्य नमस्तेSस्तु महापुरुष पूर्वज ॥
गृहाणार्ध्यं मया दत्तं लक्ष्म्या सह जगत्पते ।
अर्थात 'सच्चिदानन्दस्वरुप श्रीकृष्ण! आप बड़े दयालु हैं। हम आश्रयहीन जीवों के आप आश्रयदाता होइए। हम संसार के समुद्र में डूब रहे हैं, आप हम पर प्रसन्न होइए। हे कमलनयन ! विश्वभावन ! सुब्रह्मण्य ! महापुरुष ! सबके पूर्वज ! आपको नमस्कार है ! जगत्पते ! मेरा दिया हुआ अर्घ्य आप लक्ष्मीजी के साथ स्वीकार करें '।' ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' इस मंत्र का अधिक से अधिक जप करने से भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है। इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना भी विशेष फलदाई है।
तिल दान करना है लाभकारी
षटतिला एकादशी के दिन अपनी सामर्थ्य के अनुसार किसी ब्राह्मण को जल का घड़ा, छाता, जूता और गर्म वस्त्र दान करें। दान करते समय ऐसा कहें- 'इस दान के द्वारा भगवान श्रीकृष्ण मुझ पर प्रसन्न हों।' तिल से बने हुए व्यंजन या तिल से भरा हुआ पात्र दान करने से अनंत पुण्यों की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार उन तिलों के बोने पर उनसे जितनी शाखाएँ पैदा होती हैं, उतने हजार वर्षों तक दान करने वाला व्यक्ति स्वर्ग लोक में प्रतिष्ठित होता है। इस दिन तिल से स्नान, तिल से होम करे, तिल का उबटन लगाएं, तिल मिलाया हुआ जल पीयें, तिल का दान करें और तिल को भोजन के काम में लें। इस प्रकार से छ: कामों में तिल का उपयोग करने के कारण यह एकादशी 'षटतिला' कहलाती है, जो सब पापों का नाश करने वाली है। षटतिला एकादशी का व्रत करने से मनुष्य की आध्यात्मिक उन्नति होती है एवं सभी प्रकार के पापों से मुक्ति प्राप्त होती है।