Shardiya Navratri: तीसरे दिन होती है मां चंद्रघंटा की पूजा, जानें उपासना विधि

Update: 2024-10-05 04:58 GMT
Shardiya Navratriराजस्थान न्यूज़: आज नवरात्रि का तीसरा दिन है और इस दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है. मां चंद्रघंटा दुर्गा का तीसरा स्वरूप हैं. मां युद्ध मुद्रा में सिंह पर विराजमान हैं. मां चंद्रघंटा के हाथों में त्रिशूल, धनुष, गदा और तलवार है. इनके माथे पर घंटे के आकार में अर्द्ध चंद्र विराजमान है, इसी वजह से ये चंद्रघंटा कहलाती हैं. मां राक्षसों का वध करने वाली हैं. इनकी अराधना से इंसानों के सभी पाप नष्ट होते हैं.
कौन हैं मां चंद्रघंटा चंद्रघंटा दुर्गा का तीसरा रूप हैं. इनके दस हाथों में अस्त्र-शस्त्र सजे हुए हैं. इनकी पूजा करने वाला व्यक्ति पराक्रमी और निर्भय हो जाता है. ज्योतिष में इनका संबंध मंगल ग्रह से होता है. इनकी पूजा से व्यक्ति में विनम्रता आती है और उसका तेज बढ़ता है.ये है मां के अवतरण के पीछे की कथा पौराणिक मान्यता है कि धरती पर जब राक्षसों का आतंक बढ़ने लगा तो दैत्यों का नाश करने के लिए मां चंद्रघंटा ने अवतार लिया था. उस समय महिषासुर नाम के दैत्य का देवताओं के साथ युद्ध चल रहा था. महिषासुर देवराज इंद्र का सिंहासन हथियाकर स्वर्ग लोक पर राज करना चाहता था.
इसके बाद देवताओं ने भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के पास पहुंचे. ब्रह्मा, विष्णु और महेश इन तीनों ने देवताओं की बात सुनकर क्रोध प्रकट किया. इन देवतागणों के क्रोध प्रकट करने पर मुख से एक दैवीय ऊर्जा निकली जिसने एक देवी का अवतार लिया. ये देवी मां चंद्रघंटा थीं. इन्हें भगवान शंकर ने अपना त्रिशूल, भगवान विष्णु ने अपना चक्र, इंद्र ने अपना घंटा, सूर्य ने अपना तेज, दिया. इसके बाद मां चंद्रघंटा ने महिषासुर का वध किया था.
ऐसा है मां का स्वरूप नवरात्रि के तीसरे दिन देवी चंद्रघंटा की उपासना होती है. माता चंद्रघंटा का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है. मां को सुगंधप्रिय है. उनका वाहन सिंह है. उनके दस हाथ हैं. माता के दस हाथ हैं. ये शेर पर विराजमान हैं. चंद्रघंटा अग्नि जैसे वर्ण वाली और ज्ञान से जगमगाने वाली देवी हैं.
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