Shani Ratan: शनि के प्रकोप से बचने के लिए नीलम के अलावा धारण करें ये रत्न
नई दिल्ली, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, हर ग्रह की स्थिति का प्रभाव हर राशि के जातकों के जीवन पर अच्छा या फिर बुरा पड़ता है। इसी कारण हर एक ग्रह की स्थिति को मजबूत करने के लिए अलग-अलग उपाय बताए गए हैं। इतना ही नहीं रत्न शास्त्र के अनुसार, हर ग्रह का अलग-अलग रत्न होता है। जैसे सूर्य का माणिक्य, चंद्रमा का मोती रत्न है। इसी तरह शनि का रत्न नीलम माना जाता है। नीलम रत्न पहनने से शनि साढ़ेसाती, ढैय्या और महादशा का दुष्प्रभाव काफी हद तक कम हो जाता है। इसके साथ ही कुंडली में शनि की स्थिति भी मजबूत हो जाती है। लेकिन नीलम रत्न को हर कोई धारण नहीं कर पाता है क्योंकि इसका मूल्य काफी अधिक होता है। ऐसे में ये समस्या खड़ी हो जाती है कि आखिर शनि के प्रकोप कैसे रत्नों के द्वारा कैसे रोका जाए। रत्न शास्त्र के शास्त्र शनि ग्रह के दुष्प्रभावों को कम करने के लिए नीलम के अलावा भी कुछ रत्नों को धारण कर सकते हैं। आइए जानते हैं इन रत्नों के बारे में।
फिरोजा रत्न
फिरोजा को गुरु ग्रह का उपरत्न माना जाता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में गुरु बृहस्पति की स्थिति कमजोर हो वो लोग इस रत्न को धारण कर सकते हैं। इसके अलावा शनि ग्रह कमजोर होने पर भी इस रत्न को धारण किया जा सकता है। इस रत्न को शुक्रवार, गुरुवार और शनिवार के दिन धारण करना लाभकारी साबित होगा।
लाजवर्त रत्न
नीलम रत्न की तरह की लाजवर्त रत्न होता है। नीले रंग का इस रत्न में गोल्डन रंग की धारियां होती है। यह रत्न शनि ही नहीं बल्कि राहु और केतु का भी प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए इस रत्न को धारण करने से शनि, राहु, केतु तीनों ग्रहों की स्थिति को मजबूत किया जा सकता है।
लोहे का छल्ला
कुंडली में लगे शनि की साढ़े साती और ढैय्या से निजात पाने के लिए लोहे का छल्ला काफी कारगर माना जाता है। इस छल्ले को धारण करने से राहु और केतु के दुष्प्रभावों को भी कम क्या जाता है। इस छल्ले को धारण करने से शनि ग्रह मजबूत होता है।
घोड़े की नाल का छल्ला
लोहे की छल्ला के अलावा घोड़े की नाल से बना छल्ला भी काफी लाभकारी माना जाता है। इस छल्ले को धारण करने से भी शनि की साढ़े साती और ढैय्या को काफी हद तक कम किया जा सकता है।