कुंडली में शनि आते ही देते हैं ये अशुभ संकेत, करें ये आसान उपाय

ज्योतिष शास्त्र में हर एक ग्रह का अपना अपना एक महत्व बताया गया है। ग्रहों की स्थिति बदलने के साथ हर व्यक्ति के जीवन पर शुभ या फिर अशुभ प्रभाव पड़ता है। हर एक ग्रह अपनी स्थिति बदलने के साथ कुछ संकेत जरूर देते हैं।

Update: 2022-05-20 05:57 GMT

ज्योतिष शास्त्र में हर एक ग्रह का अपना अपना एक महत्व बताया गया है। ग्रहों की स्थिति बदलने के साथ हर व्यक्ति के जीवन पर शुभ या फिर अशुभ प्रभाव पड़ता है। हर एक ग्रह अपनी स्थिति बदलने के साथ कुछ संकेत जरूर देते हैं। इसी तरह शनि भी जब अपनी स्थिति बदलते हैं तो किसी न किसी तरह के अशुभ संकेत जरूर देते हैं जिन्हें पहचान कर इन प्रभावों को काफी हद तक कम किया जा सकता है। जानिए कुंडली में शनि ग्रह आने से कैसे संकेत मिलते हैं। इसके साथ ही शनि दोष की अशुभ स्थिति को सही करने के लिए कौन से उपाय करना होगा शुभ।

शनि देते हैं ये अशुभ संकेत

जब किसी जातक की कुंडली में शनि अशुभ फल देने लगता है तो उस व्यक्ति को अचानक शारीरिक और आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

शनि दोष होते ही व्यक्ति के जीवन में अचानक काम का बोझ बढ़ जाता है। न चाहते हुए भी इन कार्यों को करना पड़ता है।

शनि कुंडली में जब आता तो वह जल्द ही अशुभ प्रभाव देने लगता है। शनि के अशुभ प्रभाव के कारण व्यक्ति को अधिक गुस्सा आने लगता है। धर्म से जुड़े कामों को करने में आनाकानी करने लगता है, साथ ही बुरी आदतों का शिकार हो जाता है।

शनि के अशुभ प्रभाव शुरू होते ही व्यक्ति किसी न किसी झूठे मामलों में फंस जाता है। जिसके कारण मान-सम्मान की क्षति होती है।

शनि के अशुभ प्रभाव से नौकरी में किसी न किसी तरह की अड़चन आने लगती है। कई बार नौकरी तक से हाथ धोना पड़ जाता है।

शनि के अशुभ प्रभाव होने के कारण व्यक्ति को कोई न कोई जानवर हमला कर सकता है। जिसके कारण आप गंभीर रूप से घायल हो सकता है। वह जानवर कुत्ता भी हो सकता है।

शनि के अशुभ प्रभाव को कम करने के उपाय

कुंडली से शनि दोष को कम करने के लिए शनिवार के दिन शनिदेव को सरसों का तेल अर्पित करें। इसके साथ ही सरसों का दीपक जलाएं।

शनि दोष को अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए शनिवार के दिन लोहे की वस्तुएं, काले वस्त्र, उड़द, सरसों का तेल, जूते-चप्पल आदि का दान करें।

शनिवार के दिन मछलियों को आटा खिलाएं। इससे शनिदोष का प्रभाव कम हो जाता है।

शनिवार के दिन सुबह के समय पीपल के जड़ में पानी अर्पित करें और शाम के समय तिल या फिर सरसों के तेल का दीपक जलाएं। दीपक में थोड़ी सी काली तिल भी डाल लें।


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