शनिदेव अस्त से हो चुके हैं उदित, इन 5 राशियों पर पड़ सकते हैं भारी
मकर राशि में शनिदेव गुरू, सूर्य, शुक्र और बुध के साथ विराजमान हैं
Shani Dev Puja: मकर राशि में शनिदेव गुरू, सूर्य, शुक्र और बुध के साथ विराजमान हैं. शनिदेव को न्याय का कारक माना गया है. वहीं शनि कर्म के भी कारक माने गए हैं. शनि बीते 7 जनवरी 2021 को मकर राशि में ही अस्त हुए थे. 9 फरवरी को शनि उदित हो चुके हैं.
शनि का उदय होना सभी राशियों को प्रभावित करेगा. लेकिन जिन लोगों पर शनि की साढ़ेसाती, शनि की ढैय्या और शनि की महादशा चल रही है उन लोगों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है. क्योंकि इन राशियों पर शनि की दृष्टि बनी हुई है.
शनि का प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र में शनि को न्याय प्रिय ग्रह के साथ साथ एक क्रूर ग्रह भी माना गया है. शनि जब अशुभ होते हैं तो व्यक्ति का जीवन कष्टों से भर देते हैं. व्यक्ति की जॉब चली जाती है या फिर जॉब में दिक्कतें आने लगती हैं. व्यापार में हानि कराते हैं और सेहत संबंधी दिक्कत भी देते हैं. इसके साथ साथ शनि दांपत्य जीवन पर भी नकारात्मक प्रभाव डालते हैं. जिस कारण कलह और तनाव की स्थिति बनी रहती है.
शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या इन 5 राशियों पर है
ज्योतिष गणना के आधार पर शनि की 5 राशियों पर विशेष दृष्टि पड़ रही है. मिथुन, तुला राशि पर शनि की ढैय्या और धनु, मकर और कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है. इसलिए इन राशियों को शनि की अशुभता से बचने का प्रयास करना चाहिए.
शनि शुभ फल भी प्रदान करते हैं
शनि सदैव अशुभ फल प्रदान करते हैं, ऐसा नहीं है. शुभ स्थिति में होने पर शनि व्यक्ति को अत्यंत शुभ फल भी प्रदान करते हैं. शनि व्यक्ति को उच्च पद और मान सम्मान भी प्रदान करते हैं. शनि उन लोगों को शुभ फल प्रदान करते हैं जो नियम और अनुशासन के साथ कठोर परिश्रम करते हैं. परिश्रम करने वालों से शनि देव प्रसन्न होते हैं.
शनिदेव कब अशुभ फल देते हैं?
शनि उस समय अशुभ फल देना आरंभ कर देते हैं जब व्यक्ति कमजोर वर्ग के लोगों का अहित करने लगता है. उनका अपमान करने लगता है. इन स्थितियों से बचना चाहिए. शनि को शुभ रखने के लिए शनि देव की पूजा करनी चाहिए और शनिवार के दिन शनि का दान करना चाहिए. इसके साथ ही जरूरतमंद व्यक्तियों की मदद करते रहें. बारिश के मौसम में काला छाता का दान करना चाहिए और सर्दियों में काला कंबल का दान करने से शनि की अशुभता दूर होती है.