आज से शाकम्भरी नवरात्र शुरू, जानिए इसका महत्व

हिंदू पंचांग के अनुसार, यह पौष मास चल रहा है। पौष मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शाकम्भरी नवरात्र की शुरुआत होती है। यह त्यौहार पौष मास की पूर्णिमा तक मनाया जाता है।

Update: 2021-01-21 10:56 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| हिंदू पंचांग के अनुसार, यह पौष मास चल रहा है। पौष मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शाकम्भरी नवरात्र की शुरुआत होती है। यह त्यौहार पौष मास की पूर्णिमा तक मनाया जाता है। पूर्णिमा का दिन माता शाकम्भरी की जयंती के रूप में मनाया जाता है। शाकम्भरी नवरात्रि के दौरान जो साधक तंत्र-मंत्र करते हैं वो मां शाकम्भरी की अराधना करते हैं। मां शाकम्भरी को वनस्पति की देवी भी कहा जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, इस वर्ष यह नवरात्रि 21 जनवरी से 28 जनवरी तक मनाई जाएगी। आइए जानते हैं क्या है इस उत्सव का महत्व और कौन हैं माता शाकम्भरी।

शाकम्भरी पूर्णिमा का महत्व:
शाकम्भरी नवरात्रि की पूर्णिमा का महत्व अत्याधिक है। इस दिन को पौष पूर्णिमा के नाम से देश के विभिन्न स्थानों पर मनाया जाता है। इस दिन की शुरुआत इस्कॉन के अनुयायी या वैष्णव सम्प्रदाय के लोग पुष्य अभिषेक यात्रा से करते हैं। इस दिन लोग पवित्र नदी पर जाकर स्नान करते हैं। ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है। साथ ही व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
जानें कौन हैं माता शाकम्भरी:
माता शाकम्भरी, माता दुर्गा का अवतार हैं। मां दुर्गा के इस अवतार का विस्तृत वर्णन देवी पुराण में मिलता है। कई जगहों पर माता शाकम्भरी को हरियाली का प्रतीक कहा जाता है। ऐसे में पुराणों के अनुसार, सभी शाकाहारी खाद्य उत्पाद माता शाकम्भरी के प्रसाद के रूप में देखे जाते हैं। मान्यता है कि माता शाकम्भरी अत्यंत दयालु और विनम्र हैं। इन्हें दुर्गा मां का दयालु अवतार भी कहा जाता है।
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