पौष माह की पूर्णिमा को होती है शाकम्भरी जयंती...जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

माता शाकम्भरी, आदि शक्ति का सौम्य अवतार कहा जाता है। 21 जनवरी से शाकम्भरी नवरात्रि की शुरुआत हुई थी।

Update: 2021-01-25 04:41 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्कमाता शाकम्भरी, आदि शक्ति का सौम्य अवतार कहा जाता है। 21 जनवरी से शाकम्भरी नवरात्रि की शुरुआत हुई थी। इसका समापन शाकाम्भरी पूर्णिमा के दिन होता है जो इस बार 28 जनवरी को है। इस दिन शाकम्भरी जयंती मनाई जाती है। यह शाकम्भरी नवरात्रि का अंतिम दिन है। हिंदू पंचांग के अनुसार, अधिकांश नवरात्र शुक्ल प्रतिपदा से शुरू होते हैं। लेकिन शाकम्भरी नवरात्रि के अष्टमी तिथि से शुरू होती है। वहीं, इसका समापन पौष माह की पूर्णिमा को होता है। यही कारण है कि शाकम्भरी नवरात्रि आठ दिनों तक चलती है। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में तिथियों के ऊपर नीचे होने के चलते शाकम्भरी नवरात्रि कभी 7 दिनों तक चली तो कभी नौ दिनों तक।

शाकम्भरी माता देवी भगवती का अवतार हैं। ऐसा माना जाता है कि देवी भगवती ने पृथ्वी पर अकाल और गंभीर खाद्य संकट को कम करने के लिए शाकम्भरी मां का अवतार लिया था। इन्हें सब्जियों, फलों और हरी पत्तियों की देवी के रूप में भी जाना जाता है। आइए जानते हैं शाकम्भरी नवरात्रि के आखिरी दिन यानी पौष पूर्णिमा की आरंभ और समापन समय।
शाकम्भरी पूर्णिमा की तिथि और समय:
28 जनवरी, 2021, बृहस्पतिवार
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ- जनवरी 28, बृहस्पतिवार को रात 01 बजकर 17 मिनट से

पूर्णिमा तिथि समाप्त- जनवरी 29, शुक्रवार को रात 12 बजकर 45 मिनट तक
शाकम्भरी पूर्णिमा का महत्व:
शाकम्भरी नवरात्रि की पूर्णिमा का महत्व अत्याधिक है। इस दिन को पौष पूर्णिमा के नाम से देश के विभिन्न स्थानों पर मनाया जाता है। इस दिन की शुरुआत इस्कॉन के अनुयायी या वैष्णव सम्प्रदाय के लोग पुष्य अभिषेक यात्रा से करते हैं। इस दिन लोग पवित्र नदी पर जाकर स्नान करते हैं। ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है। साथ ही व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।


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