Sawan ज्योतिष न्यूज़: सावन का पवित्र महीना चल रहा है। कहा जाता है कि अगर कोई सालभर व्रक न कर पाए तो सावन में व्रत रखकर अपनी हर परेशानियों से मुक्ति पा सकता है और मन चाहा फल पा सकता है। यह महीना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। भगवान शिव आदि, अनादि और अनंत है। वे संहार के अधिपति के रूप में भी जाने जाते हैं। भोलेनाथ सृजन और पालन का कारण भी हैं। उन्हें प्रसन्न करना काफी आसान होता है। वे अपने भक्तों की जरा सी भक्ति से प्रसन्न हो जाते हैं और उनकी हर मनोकामना को पूर्ण करते हैं। ऐसे में उन्हें प्रसन्न करने के लिए कुछ मंत्र हैं जिन्हें सामान्य रूप से जपा जाए तो फल अवश्य मिलता है। मंत्रों और स्तुतियों का विधि विधान से साथ जाप करने से हर कामना पूरी हो जाती है।
शिव स्तुतियों का महत्व
भगवान शिव की स्तुतियां बहुत ही विशेष और लाभकारी होती है। इनकी स्तुतियां अधिकतर छंदात्मक होती हैं। शिवजी के हर स्वरूप के लिए अलग स्तुतियों की रचना की गई है। हर स्तुति के पाठ से पहले उसका अर्थ जानना बहुत जरूरी है।
नमः शिवाय
भगवान शिव का नाम लेते ही मन में सबसे पहला जो मंत्र समझ आता है। वह नमः शिवाय है। इस मंत्र को पंचाक्षरी मंत्र कहा जाता है, जो पांच तत्वों की शक्ति से बना हुआ है। इस मंत्र के हर दिन जप करने से मन को शांती तो मिलती है साथ ही शिव कृपा भी अवश्य मिलती है। इसी मंत्र का षडाक्षर स्वरूप "ॐ नमः शिवाय" जन कल्याण या दूसरों के हित के लिए निमित्त इस मंत्र का जप करना चाहिए।
महामृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजा महे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्, उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्...
इस मंत्र काल को दूर करने, असाध्य रोगों की मुक्ति और स्वास्थ को स्वस्थ्य रखने के लिए किया जाता है। इस मंत्र में भगवान शिव महामृत्युंजय के रूप में अमृत कलश से भक्त की रक्षा करते हैं। इस मंत्र का संक्षिप्त चतुराक्षरी रूप है। ॐ हौं जूं सः, इस मंत्र का जप निरंतर किया जा सकता है। मृत संजीवनी महामृत्युंजय मंत्र ॐ ह्रौं जूं सः और ॐ भूर्भवः स्वः है।
ताण्डव स्तोत्र
शिव तांडव स्तोत्र भगवान शिव के सबसे परम भक्त रावण द्वारा की गई विशेष स्तोत्र है। इस प्रकार की प्रशंसा छंदबद्ध है और इसमें कई तरह के अलंकार शामिल हैं। किसी भी कठिन परिस्थिति में इस सूत्र का जाप किया जा सकता है। अशुभ नक्षत्रों की स्थिति में इसका जाप विशेष लाभकारी माना जाता है। यदि इसका पाठ पर नृत्य किया जाए तो बेहतर फल की प्राप्ति होती है। स्तुति के बाद भगवान शिव का ध्यान और प्रार्थना करें।
दारिद्रय दहन स्तोत्र
यह स्तोत्र महर्षि वशिष्ठ द्वारा रचित है। इसका पाठ करने से मनुष्यों में दरिद्रता का नाश होता है। आर्थिक परेशानी से जुझ रहे हो तो सुबह-शाम इसका पाठ अवश्य करें। इसके पाठ के साथ घर से दारिद्रयता दूर हो जाएगी, इसके पाठ के लिए सात्विकता बनाए रखना जरुरी होती है।
जाप के नियम
भगवान शिव के मंत्रों का जाप रुद्राक्ष की माला से करना उत्तम माना जाता है। भगवान शिव के मंत्रों का जाप अगर कोई प्रदोष काल में करता है तो इसका सर्वोत्तम फल मिलता है। मंत्रों का जाप करने से पहले भगवान शिव के कल्याणसुंदरम स्वरूप का ध्यान अवश्य करना चाहिए। शिव के मंत्रों का जाप कभी भी किसी को नुकसान पंहुचाने के प्रयास के लिए न करें।