हर संकट को दूर करती है संकष्टी चतुर्थी, जानें पूजा विधि

Update: 2022-11-25 05:30 GMT
हर संकट को दूर करती है संकष्टी चतुर्थी, जानें पूजा विधि
  • whatsapp icon

हिंदू धर्म में सर्वप्रथम गणेश पूजन का विधान है. किसी भी धार्मिक अनुष्ठान में सबसे पहले भगवान श्रीगणेश की पूजा की जाती है. भगवान गणेश को विघ्नहर्ता देव कहते हैं, जो भक्तों के सभी कष्ट हर लेते हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है. दिसंबर में संकष्टी चतुर्थी का व्रत 11 दिसंबर 2022, रविवार को रखा जाएगा. पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं कि संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित होती है, इसलिए इस दिन श्रीगणेश जी की विशेष उपासना की जाती है. संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश जी विधि विधान से पूजा करने पर सुख-समृद्धि, ऐश्वर्य व ज्ञान की प्राप्ति होती है. आइये जानते हैं संकष्टी चतुर्थी का महत्व और संपूर्ण पूजा विधि.

संकष्टी चतुर्थी का महत्व

ज्योतिषियों के अनुसार, सूर्योदय से संकष्टी चतुर्थी का व्रत शुरू होता है और चंद्रमा दर्शन के साथ समाप्त होता है. इस दिन सुबह गणेश जी की पूजा करनी चाहिए और शाम को संकष्टी चतुर्थी की कथा सुननी चाहिए. इस दिन भगवान गणेश की पूजा से मनचाहा वरदान प्राप्त होता है. गणेश पूजन से सभी तरह के कष्ट दूर होते हैं और सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है. इस दिन विधिवत व्रत रखने से भगवान गणेश जी कृपा घर पर बनी रहती है.

संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि

ज्योतिषियों के अनुसार, गणेश संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें. इसके पश्चात गणेश जी मूर्ति चौकी पर स्थापित करें और पूजा-अर्चना करें. भगवान गणेश को मोदक, लड्डू और दूर्वा चढ़ाएं.

गणेश मंत्र का उच्चारण करें और गणेश चालीसा का पाठ करें. इसके बाद गणेश आरती के साथ पूजा समाप्त करें. शाम के समय गणेश जी की कथा सुनें. धूप, अगरबत्ती करने के साथ गणेश जी को उनके प्रिय प्रसाद का भोग लगाएं. रात्रि में चंद्रमा की पूजा करें और जल अर्पित कर सुख-समृद्धि की कामना करें.


Tags:    

Similar News