Rudraksha : रुद्राक्ष की उत्पत्ति कैसे हुई, यह कितने प्रकार के होते है?
रुद्राक्ष का संबंध भगवान शिव से है और इसे बहुत ही चमत्कारी माना जाता है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। महाशिवरात्रि का पर्व 01 मार्च को है. महाशिवरात्रि का दिन रुद्राक्ष धारण करने के लिए अच्छा दिन है. रुद्राक्ष का संबंध भगवान शिव से है और इसे बहुत ही चमत्कारी माना जाता है. भगवान शिव के मंत्रों का जाप करने के लिए रुद्राक्ष की माला का ही प्रयोग करते हैं. रुद्राक्ष धारण करने से संकट मिटते हैं और दुख एवं ग्रह दोष दूर होते हैं, जीवन में सुख, समृद्धि, धन, संपत्ति सबकुछ प्राप्त हो सकता है. इसको धारण करने के भी नियम होते हैं. महाशिवरात्रि के अवसर पर जानते हैं कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति (Origin Of Rudraksha) कैसे हुई, यह कितने प्रकार (Types Of Rudraksha) के होते है?
महाशिवरात्रि 2022 रुद्राक्ष की उत्पत्ति
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार भगवान शिव हजार वर्ष तक साधना में लीन थे. एक दिन अचानक जब उनकी आंखें खुलीं तो उससे आंसू की एक बूंद पृथ्वी पर गिर पड़ी. उससे ही रुद्राक्ष की उत्पत्ति हुई. शिव आज्ञा और मानव कल्याण के लिए रुद्राक्ष के पेड़ पूरी धरती पर फैल गए. रुद्राक्ष का भगवान शिव से यही संबंध है. इस वजह से रुद्राक्ष को चमत्कारी और प्रभावी माना जाता है
रुद्राक्ष के प्रकार
रुद्राक्ष एक से लेकर 21 मुखी तक पाए जाते हैं. इनमें भी 11मुखी रुद्राक्ष को सर्वसिद्ध रुद्राक्ष माना जाता है. आइए जानते हैं कुछ प्रमुख रुद्राक्ष के प्रकार के बारे में.
1. एक मुखी रुद्राक्ष- शिव स्वरुप
2. दो मुखी रुद्राक्ष- अर्धनारीश्वर स्वरुप
3. तीन मुखी रुद्राक्ष- अग्नि एवं तेज स्वरुप
4. चार मुखी रुद्राक्ष- ब्रह्म स्वरुप
5. पांच मुखी रुद्राक्ष- कालाग्नि स्वरुप
6. छह मुखी रुद्राक्ष- भगवान कार्तिकेय स्वरुप
7. सात मुखी रुद्राक्ष- सप्तऋषियों का स्वरुप
8. आठ मुखी रुद्राक्ष- अष्ट देवियों का स्वरुप
9. नौ मुखी रुद्राक्ष- धन, संपत्ति, यश एवं कीर्ति के लिए धारण करते हैं
10. 10 मुखी रुद्राक्ष- नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा के लिए
11. 11 मुखी रुद्राक्ष- सर्वसिद्ध रुद्राक्ष, आत्मविश्वास वृद्धि के लिए
12. 12 मुखी रुद्राक्ष- सफलता के लिए
13. 13 मुखी रुद्राक्ष- सुखद वैवाहिक जीवन के लिए