निर्जला एकादशी व्रत से जुड़े ये 10 नियम रखे याद

निर्जला एकादशी व्रत 21 जून सोमवार के दिन रखा जाएगा। हिन्दू पंचांग के अनुसार, निर्जला एकादशी व्रत हर साल ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी के दिन रखा जाता है।

Update: 2021-06-18 10:13 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | निर्जला एकादशी व्रत 21 जून सोमवार के दिन रखा जाएगा। हिन्दू पंचांग के अनुसार, निर्जला एकादशी व्रत हर साल ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी के दिन रखा जाता है। इसे भीमसेन एकादशी, पांडव एकादशी और भीम एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता के अनुसार, जो भी निर्जला एकादशी व्रत को रखता है उसे सालभर में पड़ने वाली सभी एकादशी व्रतों के समान पुण्यफल प्राप्त होता है। इस व्रत करने वालों को जगत के पालनहार भगवान विष्णु जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह व्रत एकादशी तिथि के रखा जाता है और अगले दिन यानी द्वादशी तिथि के दिन व्रत पारण विधि-विधान से किया जाता है। निर्जला एकादशी व्रत कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। इसलिए इस व्रत से जुड़े नियमों को जान लेना अति आवश्यक होता है। आइए जानते हैं निर्जला एकादशी व्रत से जुड़े दस नियमों को....

निर्जला एकादशी व्रत के नियमानुसार इस व्रत को निर्जल रखना चाहिए। लेकिन यदि ऐसा संभव नहीं है तो आप इस व्रत में पानी ग्रहण कर सकते हैं। कमजोर और बीमार लोग व्रत के एक समय फलाहार भी ले सकते हैं।
एकादशी तिथि के दिन चावल नहीं खाया जाता है। पद्म पुराण में ऐसा वर्णन है कि एकादशी के दिन चावल खाने से प्राणी रेंगने वाले जीव की योनि में जन्म पाता है।
एकादशी के दिन फलाहार में केल, आम, अंगूर खा सकते हैं। इसके साथ ही आप सूखे मेवे में काजू, बादाम और किशमिश भी खा सकते हैं।
एकादशी व्रत में नमक का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन आप सेंधा नमक को ग्रहण कर सकते हैं।
एकादशी के दिन जो लोग व्रत नहीं रख सकते हैं उन्हें चावल के अलावा दाल, बैंगन, मूली और सेम भी नहीं खाना चाहिए।
एकादशी के दिन पान का सेवन नहीं करना चाहिए। एकादशी व्रत में पान भगवान विष्णु जी को अर्पित किया जाता है।
एकादशी के दिन तामसिक पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। मांस, मदिरा, प्याज लहसुन ये सभी तामसिक पदार्थों में शामिल हैं।
एकादशी के दिन किसी दूसरे के घर में भोजन नहीं करना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से व्रती को उसके व्रत का फल प्राप्त नहीं होता है।
एकादशी के दिन बाजार से निर्मित मिठाई या कस्टर्ड आदि चीजों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
एकादशी के दिन जमीन पर आसन बिछाकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके खाद्य पदार्थों को ग्रहण करना चाहिए।


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