शनि देव की वक्री चाल से राहत के लिए राशि अनुसार उपाय, कष्टों से मिलेंगी मुक्ति

Update: 2022-06-08 07:07 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। शनि देव 5 जून को वक्री हो गए हैं और 23 अक्तूबर, 2022 तक इसी स्थिति में रहेंगे। इस दौरान शनि मंत्र 'ऊं शं शनैश्चराय नम:' की एक माला का जाप शाम में करें। राशियों के अनुसार कुछ उपाय:

मेष: शनि की वक्री गति सम रहेगी। जाप व दान करके इसका निदान कर सकते हैं
वृष: यदि शनि त्रिक भाव में नहीं बैठे हैं, तो केवल मंत्रों के जाप से ही शनि की वक्री दशा के प्रभाव से मुक्ति मिलेगी।
मिथुन: इन जातकों के लिए शनि कारक होते हैं। शनि नीच के नहीं हैं, तो केवल शनि के मंत्र से ही अच्छे फल मिलते रहेंगे।
कर्क: शनि काफी प्रभावित करेंगे। लगातार सात शनिवार मंत्र के साथ रत्न भी प्रवाहित करें। दान भी करें, अच्छा रहेगा।
सिंह: रोज मंत्र पढ़ें। सात शनिवार रत्न प्रवाहित करें। ज्योतिषी से परामर्श लें।
कन्या: शनि देव त्रिक भाव में नहीं बैठे हैं, तो केवल मंत्र जाप करने से ही शनि के वक्री प्रभाव से बचे रहेंगे।
तुला: मंत्र जाप करें। शनिवार को शाम में शनि देव के लिए तेल का दीपक जलाएं।
वृश्चिक: यदि शनि नीच के नहीं हैं, तो सिर्फमंत्र की एक माला जपें। दान करें।
धनु: शनि देव प्रभावित करेंगे। शनि मंत्र का जाप करें। दान करें। सात शनिवार बहते जल में रत्न प्रवाहित करें।
मकर: इस राशि के स्वामी स्वयं शनि देव हैं। शनि नीच के नहीं हैं, तो जाप से ही शनि देव की वक्री गति का प्रभाव नहीं पड़ेगा।
कुंभ: कुंडली में शनि नीच के या त्रिक भाव में नहीं हैं, तो रोज शाम को 108 बार शनि मंत्र का जाप करने से राहत रहेगी।
मीन: शनि प्रभावित करेंगे। यदि कुंडली में शनि नीच के हो जाएं या शनि की ढैया या साढ़ेसाती चल रही है, तो शनि का जाप करें। दान करें। सात शनिवार शनि के अभिमंत्रित रत्न बहते जल में प्रवाहित करें।


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