मासिक कालाष्टमी के दिन करें इस चालीसा का पाठ, सभी कष्टों से मिलेगी मुक्ति

Update: 2024-04-01 08:26 GMT
नई दिल्ली : हर माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है। तदनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की कालाष्टमी 01 अप्रैल को है। इस दिन देवों के देव महादेव के रौद्र रूप की पूजा-उपासना की जाती है। साथ ही विशेष कार्यों में सिद्धि प्राप्ति हेतु व्रत भी रखा जाता है। तंत्र सीखने वाले साधक कालाष्टमी पर प्रदोष काल से लेकर निशा काल तक आराध्य काल भैरव देव की पूजा करते हैं। धार्मिक मत है कि भैरव देव की पूजा-उपासना करने से साधक के जीवन में व्याप्त सभी काल, कष्ट, दुख और संकट यथाशीघ्र दूर हो जाते हैं। साथ ही जीवन में मंगल का आगमन होता है। अगर आप भी जीवन में व्याप्त दुख और संताप से निजात पाना चाहते हैं, तो कालाष्टमी तिथि पर प्रदोष काल में भैरव देव की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय इस मंगलकारी स्तोत्र का पाठ करें।
काल भैरव अष्टक
देवराजसेव्यमानपावनांघ्रिपङ्कजं व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम्।
नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगंबरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥
भानुकोटिभास्वरं भवाब्धितारकं परं नीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम्।
कालकालमंबुजाक्षमक्षशूलमक्षरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥
शूलटङ्कपाशदण्डपाणिमादिकारणं श्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम्।
भीमविक्रमं प्रभुं विचित्रताण्डवप्रियं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥
भुक्तिमुक्तिदायकं प्रशस्तचारुविग्रहं भक्तवत्सलं स्थितं समस्तलोकविग्रहम्।
विनिक्वणन्मनोज्ञहेमकिङ्किणीलसत्कटिं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥
धर्मसेतुपालकं त्वधर्ममार्गनाशकं कर्मपाशमोचकं सुशर्मदायकं विभुम्।
स्वर्णवर्णशेषपाशशोभिताङ्गमण्डलं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥
रत्नपादुकाप्रभाभिरामपादयुग्मकं नित्यमद्वितीयमिष्टदैवतं निरंजनम्।
मृत्युदर्पनाशनं करालदंष्ट्रमोक्षणं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥
अट्टहासभिन्नपद्मजाण्डकोशसंततिं दृष्टिपातनष्टपापजालमुग्रशासनम्।
अष्टसिद्धिदायकं कपालमालिकाधरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥
भूतसंघनायकं विशालकीर्तिदायकं काशिवासलोकपुण्यपापशोधकं विभुम्।
नीतिमार्गकोविदं पुरातनं जगत्पतिं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥
काल भैरव अष्टक के लाभ
काल भैरव देव की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही जीवन में मंगल का आगमन होता है। काल भैरव देव साधक पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखते हैं। उनकी कृपा से साधक के सकल मनोरथ भी सिद्ध होते हैं। कई साधक गुप्त रूप से आराध्य काल भैरव देव की पूजा करते हैं।
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