आज योगिनी एकादशी पूजा में पढ़ें ये आरती, भगवान होंगे प्रसन्न

Update: 2023-06-14 06:50 GMT
आज यानी 14 जून दिन बुधवार को योगिनी एकादशी का व्रत पूजन किया जा रहा हैं जो कि भगवान विष्णु को समर्पित होता हैं इस दिन भक्त भगवान श्री हरि को प्रसन्न करने के लिए उनकी विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं मान्यता है कि ऐसा करने से प्रभु की कृपा प्राप्त होती हैं। एकादशी का व्रत हर माह के दोनों पक्षों में पड़ता है जिस कारण साल में कुल 24 एकादशी व्रत किया जाते हैं अभी आषाढ़ का महीना चल रहा है और इस महीने पड़ने वाली एकादशी को योगिनी एकादशी के नाम से जाना जा रहा हैं।
पंचांग के अनुसार योगिनी एकादशी का व्रत आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को किया जाता हैं इस दिन साधक ​दिनभर उपवास रखते हुए भगवान का पूजन ध्यान करते हैं मान्यता है कि एकादशी पर विष्णु पूजा उत्तम फल प्रदान करती है और सभी कष्टों का अंत कर देती हैं ऐसे में अगर आप भी आज विष्णु पूजा कर रहे हैं तो प्रभु की प्रिय आरती का पाठ जरूर करें। योगिनी एकादशी पूजा में विष्णु आरती पढ़ने से व्रत पूजन का पूर्ण फल प्राप्त होता हैं और साधक को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती हैं।
श्री विष्णु आरती—
ॐ जय जगदीश हरे,
स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
जो ध्यावे फल पावे,
दुःख बिनसे मन का,
स्वामी दुःख बिनसे मन का ।
सुख सम्पति घर आवे,
सुख सम्पति घर आवे,
कष्ट मिटे तन का ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
मात पिता तुम मेरे,
शरण गहूं किसकी,
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी ।
तुम बिन और न दूजा,
तुम बिन और न दूजा,
आस करूं मैं जिसकी ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
तुम पूरण परमात्मा,
तुम अन्तर्यामी,
स्वामी तुम अन्तर्यामी ।
पारब्रह्म परमेश्वर,
पारब्रह्म परमेश्वर,
तुम सब के स्वामी ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
तुम करुणा के सागर,
तुम पालनकर्ता,
स्वामी तुम पालनकर्ता ।
मैं मूरख फलकामी,
मैं सेवक तुम स्वामी,
कृपा करो भर्ता॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
तुम हो एक अगोचर,
सबके प्राणपति,
स्वामी सबके प्राणपति ।
किस विधि मिलूं दयामय,
किस विधि मिलूं दयामय,
तुमको मैं कुमति ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
दीन-बन्धु दुःख-हर्ता,
ठाकुर तुम मेरे,
स्वामी रक्षक तुम मेरे ।
अपने हाथ उठाओ,
अपने शरण लगाओ,
द्वार पड़ा तेरे ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे..॥
विषय-विकार मिटाओ,
पाप हरो देवा,
स्वमी पाप(कष्ट) हरो देवा ।
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
सन्तन की सेवा ॥
ॐ जय जगदीश हरे,
स्वामी जय जगदीश हरे ।
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे ॥
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