सभी मनोरथ सिद्ध करता है पूजन में पढ़े ये आरती

Update: 2023-07-15 06:41 GMT
हिंदू धर्म में सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी देवता की पूजा अर्चना को समर्पित होता हैं, वही शनिवार का दिन भगवान श्री शनिदेव की साधना आराधना के लिए उत्तम माना जाता हैं इस दिन भक्त श्री शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए उनकी विधि विधान से पूजा पाठ करते हैं और दिनभर का उपवास भी रखते हैं।
 लेकिन किसी भी देवी देवता की व्रत पूजा बिना आरती के पूर्ण नहीं मानी जाती हैं और ना ही इसका फल प्राप्त होता हैं, ऐसे में अगर आप आज के दिन शनि महाराज को खुश करना चाहते हैं तो पूजन के बाद उनकी आरती जरूर पढ़ें माना जाता है कि ऐसा करने से शनि प्रसन्न होकर अपनी कृपा बरसाते हैं जिससे भक्तों के सभी मनोरथ सिद्ध हो जाते हैं, तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं श्री शनिदेव की आरती।
 श्री शनिदेव की आरती—
जय शनि देवा, जय शनि देवा,
जय जय जय शनि देवा ।
अखिल सृष्टि में कोटि-कोटि जन,
करें तुम्हारी सेवा ।
जय शनि देवा, जय शनि देवा,
जय जय जय शनि देवा ॥
जा पर कुपित होउ तुम स्वामी,
घोर कष्ट वह पावे ।
धन वैभव और मान-कीर्ति,
सब पलभर में मिट जावे ।
राजा नल को लगी शनि दशा,
राजपाट हर लेवा ।
जय शनि देवा, जय शनि देवा,
जय जय जय शनि देवा ॥
जा पर प्रसन्न होउ तुम स्वामी,
सकल सिद्धि वह पावे ।
तुम्हारी कृपा रहे तो,
उसको जग में कौन सतावे ।
ताँबा, तेल और तिल से जो,
करें भक्तजन सेवा ।
जय शनि देवा, जय शनि देवा,
जय जय जय शनि देवा ॥
हर शनिवार तुम्हारी,
जय-जय कार जगत में होवे ।
कलियुग में शनिदेव महात्तम,
दु:ख दरिद्रता धोवे ।
करू आरती भक्ति भाव से,
भेंट चढ़ाऊं मेवा ।
जय शनि देवा, जय शनि देवा,
जय जय जय शनि देवा ॥
 ॥ श्री शनि देव आरती-2 ॥
चार भुजा तहि छाजै,
गदा हस्त प्यारी ।
जय शनिदेव जी ॥
रवि नन्दन गज वन्दन,
यम अग्रज देवा ।
कष्ट न सो नर पाते,
करते तब सेवा ॥
जय शनिदेव जी ॥
तेज अपार तुम्हारा,
स्वामी सहा नहीं जावे ।
तुम से विमुख जगत में,
सुख नहीं पावे ॥
जय शनिदेव जी ॥
नमो नमः रविनन्दन,
सब ग्रह सिरताजा ।
बन्शीधर यश गावे,
रखियो प्रभु लाजा ॥
जय शनिदेव जी ॥
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