मां बगलामुखी जयंती पर पढ़ें माता की उत्पत्ति की रोचक कथा

हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर मां बगलामुखी जयंती (Baglamukhi Jayanti) मनाई जाती है

Update: 2022-05-09 17:02 GMT

Baglamukhi Jayanti 2022: हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर मां बगलामुखी जयंती (Baglamukhi Jayanti) मनाई जाती है. साल 2022 में बगलामुखी जयंती 9 मई को मनाई जा रही है. 10 महाविद्याओं में से एक मानी जाती हैं मां बगलामुखी. मान्यता है कि सौराष्ट्र के हरिद्रा नामक सरोवर से मां बगलामुखी की उत्पत्ति हुई थी. कहा जाता है कि देवी को पीला रंग बहुत प्रिय है. मां पीले वस्त्र धारण करती हैं. इसलिए इन्हें माता पीताम्बरा के नाम से भी जाना जाता है. सभी कार्यों में सफलता मिले एवं घर में सुख-समृद्धि बनी रहे इसके लिए भक्त इनकी पूजा-अर्चना करते हैं.

मां का एक रूप शत्रुनाश देवी का भी माना जाता है. यदि किसी व्यक्ति को अपने शत्रु से बचना है तो मां बगलामुखी की पूजा श्रेष्ठ मानी जाती है. आइए जानते हैं भोपाल के रहने वाले पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा, ज्योतिष जानकार से बगलामुखी जयंती का महत्व और कथा.
कब है बगलामुखी जयंती 2022
बगलामुखी जयंती हिंदू कैलेंडर 2022 के अनुसार वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है.
बगलामुखी जयंती का महत्व
– पौराणिक कथा के अनुसार जो भक्त देवी बगलामुखी की पूजा करते हैं. उनका शत्रुओं पर पूरा नियंत्रण हो जाता है साथ ही वे उनसे छुटकारा पा लेते हैं.
– देवी बगलामुखी व्यक्ति को क्रोध, मन के आवेग, जीभ और खाने की आदतों पर नियंत्रण की भावना भी प्रदान करती हैं.
– जो व्यक्ति मां बगलामुखी की पूजा करते हैं वे खुद को काले जादू और अन्य गैर-घटनाओं से बचा सकते हैं.
– कानूनी समस्या से मुक्त होने के लिए भी देवी की पूजा की जाती है.
पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भारी बाढ़ के कारण पृथ्वी का पूर्ण विनाश हुआ था. जिसमें सभी जीव-जंतु और पूरी सृष्टि दांव पर लग गई थी. उस समय सभी देवताओं ने भगवान शिव से मदद मांगी. तब उन्होने देवताओं को सुझाव दिया कि केवल देवी शक्ति ही इस तूफान को शांत कर सकती हैं. जिसके बाद पृथ्वी को बचाने के लिए देवी बगलामुखी हरिद्रा सरोवर से निकलीं और उन सभी को बचाया. तभी से देवी बगलामुखी को विपत्तियों और बुराइयों से राहत पाने के लिए पूजा जाने लगा.
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