भद्रा काल में नहीं बांधी जाती राखी, जानें सही डेट और शुभ मुहूर्त

Update: 2023-08-27 13:04 GMT
धर्म अध्यात्म: 30 अगस्त को मनाए जाने वाले रक्षाबंधन त्यौहार में भाई-बहन के पवित्र रिश्तों का महत्वपूर्ण पर्व है. इस वर्ष यह त्योहार दुनिया भर में धूमधाम के साथ मनाया जाएगा. इस पर्व के मौके पर बहनें रात्रि 8:50 से शुरू होने वाले शुभ मुहूर्त में अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधने के लिए तैयारी करेंगी. परंपरागत रूप से यह दिन भाई-बहन के आपसी प्रेम और सम्मान की मिशाल होता है, और उनके बीच और भी अधिक मजबूत बंधन की नींव रखता है.
रात 9 बजे से अमृत चौघड़िया में राखी बांधना शुभ
रक्षाबंधन के दिन 30 अगस्त यानि पूर्णिमा सुबह 10:03 बजे से प्रारंभ होकर अगले दिन 31 अगस्त को सुबह 7:33 बजे तक रहेगी. लेकिन पूर्णिमा के साथ ही अशुभ भद्रा योग भी शुरू हो जाएगा, जो रात 8:51 बजे तक रहेगा. ऐसे में राखी रात में बांधे या अगले दिन सुबह को लेकर चल रहे संशय पर विद्वानों का मत है कि भद्रा समाप्त होने के बाद रात 9 बजे से 10:30 बजे तक अमृत चौघड़िया में राखी बांधना शुभ रहेगा. वहीं इसके बाद भी राखी बांधने में कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा.
मांगलिक कार्य में भद्रा योग का विशेष ध्यान
पंडित बालसुक आशीर्वाद जी महाराज के अनुसार अगले दिन 31 अगस्त को सुबह 7:33 बजे तक स्नान दान की पूर्णिमा रहेगी और रक्षाबंधन पर्व व्रत की पूर्णिमा में मनाया जाना शास्त्र सम्मत है. उन्होंने बताया कि किसी भी मांगलिक कार्य में भद्रा योग का विशेष ध्यान रखा जाता है. भद्रा काल में मांगलिक कार्य जैसे मुंडन, विवाह, गृह प्रवेश, तीर्थ स्थलों का भ्रमण, व्यापार आरंभ वर्जित है. इसलिए भद्रा में राखी बांधना अशुभ माना जाता है.
पं. बालशुक आशीर्वाद जी महाराज ने बताया की तिथि, वार, योग, नक्षत्र और करण हिन्दू पंचांग के पांच प्रमुख अंग हैं. इनमें करण की संख्या 11 होती है, जो चर और अचर में बांटे गए हैं. इन 11 करणों में 7वें विष्टिकरण का नाम ही भद्रा है. विष्टिकरण में भद्रा में शुभ कार्य निषेध बताए गए हैं. इसलिए भद्रा में राखी बांधना अशुभ माना जाता है. क्योंकि भद्रा एक ग्रहण या बुरे नक्षत्र की तरह मानी जाती हैं. शास्त्रों में कहा गया कि भद्रा तिथि में शुभ कार्य करने से राजा को क्षति व अग्नि का प्रकोप होता है. इसलिए होलिका दहन और रक्षाबंधन जैसे शुभ कार्य भद्रा में करना वर्जित है.
19 दिन देरी से मनाया जा रहा रक्षाबंधन
पंडित केशव महाराज के अनुसार पौराणिक मान्यता है कि भद्रा काल में राखी बांधना अशुभ होता है, वहीं इस बार पर्व 19 दिन की देरी से 30 अगस्त को मनाया जा रहा है. इस दिन सुबह से लेकर शाम तक धनिष्ठा नक्षत्र रहेगा, जो सुबह 10:00 बजे तक रहेगा. इसके बाद पूर्णिमा शुरू होगी साथ ही सुबह 10:24 से पंचक भी शुरू हो जाएगी. इसलिए 30 अगस्त की रात में 9:00 बजे के बाद राखी बांधना शुभ रहेगा.
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