नवरात्रि के बाद राहु राशि बदल रहे हैं, जानिए मेष राशिवालों को किन हालातों से गुजरना होगा
वर्ष का नाम होगा राक्षस और वर्ष के राजा होंगे ग्रहों में न्यायाधीश की पदवी प्राप्त शनि देव मंत्री होंगे देव गुरु बृहस्पति।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू नव वर्ष अर्थात नव संवत्सर का आरंभ है 2 अप्रैल 2022 दिन शनिवार से हो रहा है। वर्ष का नाम होगा राक्षस और वर्ष के राजा होंगे ग्रहों में न्यायाधीश की पदवी प्राप्त शनि देव मंत्री होंगे देव गुरु बृहस्पति। दोनों ही ग्रह वर्ष भर अपनी राशि में रह करके चराचर जगत पर अपना प्रभाव स्थापित करें। साथ ही वर्ष के आरंभ में ही अर्थात 12 अप्रैल 2022 दिन मंगलवार को परम प्रभावकारी छाया ग्रह राहु का परिवर्तन शुक्र के राशि वृष से सेनापति की पदवी प्राप्त मंगल की राशि मेष में होने जा रहा है।
ऐसी स्थिति में वर्ष भर राहु मेष राशि में गोचर करते रहेंगे । इनका व्यापक प्रभाव सभी राशियों एवं लग्नो पर व्यापक रूप से पड़ेगा। राहु छाया ग्रह है और जिस राशि में गोचरीय संचारण करते हैं उसी के अनुसार फल भी प्रदान करते हैं । इस वर्ष मेष राशि में गोचरीय संचरण करेंगे जो की अग्नि तत्व कारक राशि है । ऐसी स्थिति में इनके तीव्रता में वृद्धि होगी , तेज में वृद्धि होगी , प्रभाव में तीव्रता होगी जहां समाज में गर्मी को बढ़ाने वाले होंगे वहीं पर व्यक्ति के जीवन में तीव्रता प्रदान करेंगे। मेष राशि वालों के लिए व्यापक रूप से प्रभाव स्थापित करेंगे । मेष राशि में विद्यमान रह कर मेष राशि वालो के मानसिक चिंता में वृद्धि करेंगे , एकाग्रता भंग करेंगे, तरह-तरह के विचारों का जन्म देंगे, सिर में पीड़ा उत्पन्न करेंगे, साथ ही साथ न्यूरो अर्थात नसों की समस्या भी उत्पन्न करेंगे। इस अवधि में राहु की दृष्टि पंचम दृष्टि संतान भाव, विद्या भाव पर पड़ने के कारण संतान पक्ष से चिंता की स्थिति उत्पन्न होगा, पढ़ाई में अवरोध की स्थिति उत्पन्न होगा, मानसिक स्थिति में परिवर्तन देखने को मिलेगा। राहु की सप्तम दृष्टि तुला राशि अर्थात दांपत्य भाव पर होगा। फल स्वरूप मेष राशि के जातकों के लिए दांपत्य जीवन में तनाव की स्थिति , वैवाहिक संबंधों में अवरोध की स्थिति, प्रेम संबंधों को लेकर तनाव की स्थिति, साझेदारी के कार्यों में परिवर्तन की स्थिति बनती दिखाई देगी। इन क्षेत्रों में कहीं न कहीं तनाव का वातावरण उत्पन्न होगा। राहु की अगली दृष्टि भाग्य भाव धनु राशि पर होगा ऐसी स्थिति में भाग्य वर्धक कार्यो में अस्थिरता और पिता के स्वास्थ्य को लेकर चिंता की स्थिति, भाग्य में अवरोध की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। अचानक धार्मिकता ने भी परिवर्तन हो सकता है। व्यक्ति के मन मस्तिष्क में अपने धर्म के प्रति विमुखता दिखाई देगा और अस्थिरता प्रत्येक क्षेत्र में दिखाई देगी। यद्यपि वर्ष भर अन्य ग्रहों के साहचर्य में अर्थात अन्य ग्रहों के प्रभाव के कारण इनके फलों में उच्चता एवं निम्नता देखने को मिल सकती है फिर भी इस समय अवधि में राहु मेष राशि में रह करके अपनी सभी दृष्टिओ में और स्थिरता ही उत्पन्न करने जा रहे हैं।इस लिए इनके अशुभ फलों में कमी करने के लिए उपाय करना नितांत आवश्यक हो जाता है।
उपाय:- सर्व प्रथम मूल कुंडली में राहु के स्थिति पर विचार के बाद राहु के शांति हेतु पूजा कराई जा सकती हैं। माता दुर्गा का उपासना राहु के स्थिति में सुधार के लिए अति उत्तम उपाय साबित होगा। तथा भैरव का उपासना और समय-समय पर रुद्राभिषेक शुभ फलों में वृद्धि कराने वाला साबित होगा।