Vinayak Chaturthi ज्योतिष न्यूज़ : सनातन धर्म में कई सारे पर्व मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन सावन की विनायक चतुर्थी को बहुत ही खास माना गया है जो कि गणपति की साधना आराधना को समर्पित होती है इस दिन भक्त प्रभु की भक्ति में लीन रहकर दिनभर पूजा पाठ व व्रत आदि करते हैं माना जाता है कि ऐसा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह में चतुर्थी शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष के दौरान आती है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान श्री गणेश की पूजा करने से सभी पापों का नाश हो जाता है और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है
अभी सावन का महीना चल रहा है और इस माह की विनायक चतुर्थी का व्रत आज यानी 8 अगस्त दिन गुरुवार को किया जा रहा है इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से अत्यंत शुभ परिणामों की प्राप्ति होती है साथ ही जीवन में भी शुभता का आगमन होता है विनायक चतुर्थी पर अगर भगवान गणेश के चमत्कारी मंत्रों का जाप भक्ति भाव से किया जाए तो जीवन की कई समस्याओं का समाधान हो जाता है और प्रभु के आशीर्वाद से सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।
भगवान गणेश के मंत्र
1. ऊँ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा ॥
2. वन्दे गजेन्द्रवदनं वामाङ्कारूढवल्लभाश्लिष्टम् ।
कुङ्कुमरागशोणं कुवलयिनीजारकोरकापीडम् ॥
विघ्नान्धकारमित्रं शङ्करपुत्रं सरोजदलनेत्रम् ।
सिन्दूरारुणगात्रं सिन्धुरवक्त्रं नमाम्यहोरात्रम् ॥
गलद्दानगण्डं मिलद्भृङ्गषण्डं,
चलच्चारुशुण्डं जगत्त्राणशौण्डम् ।
लसद्दन्तकाण्डं विपद्भङ्गचण्डं,
शिवप्रेमपिण्डं भजे वक्रतुण्डम् ॥
गणेश्वरमुपास्महे गजमुखं कृपासागरं,
सुरासुरनमस्कृतं सुरवरं कुमाराग्रजम् ।
सुपाशसृणिमोदकस्फुटितदन्तहस्तोज्ज्वलं,
शिवोद्भवमभीष्टदं श्रितततेस्सुसिद्धिप्रदम् ॥
विघ्नध्वान्तनिवारणैकतरणिर्विघ्नाटवीहव्यवाट्,
विघ्नव्यालकुलप्रमत्तगरुडो विघ्नेभपञ्चाननः ।
विघ्नोत्तुङ्गगिरिप्रभेदनपविर्विघ्नाब्धिकुंभोद्भवः,
विघ्नाघौघघनप्रचण्डपवनो विघ्नेश्वरः पातु नः ॥
3. ॐ श्रीं गं सौम्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा॥
4. दन्ताभये चक्रवरौ दधानं, कराग्रगं स्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृताब्जयालिङ्गितमाब्धि पुत्र्या-लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे॥
5. ॐ गणेश ऋणं छिन्धि वरेण्यं हुं नमः फट्॥
6. ॐ नमो ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं क्लीं क्लीं श्रीं लक्ष्मी मम गृहे धनं देही चिन्तां दूरं करोति स्वाहा ॥
7. गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः ।
द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः ॥
विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः ।
द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत् ॥
विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत् क्वचित् ।
8. ॐ श्रीम गम सौभाग्य गणपतये
वर्वर्द सर्वजन्म में वषमान्य नमः॥
9. ॐ वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।
10. ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा।