इस दिन मनाया जाएगा प्रकाश पर्व, जानें गुरु गोबिंद सिंह से जुड़ी ये खास बातें

गोबिंद सिंह जी ने ही खालसा पंथ की स्थापना की थी और इसे ही सिखों के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है

Update: 2022-01-05 18:32 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Guru Gobind Singh Jayanti 2022: सिखों के 10 वें गुरू गुरू गोबिंद सिंह जी का जन्मदिन (Guru Gobind Singh Ji Birthday) देशभर में सिख समुदायों द्वारा खूब धूम-धाम से मनाया जाता है. इस दिन को प्रकाश पर्व (Prakash Parv) के नाम से भी जाना जाता है. सिख समुदाय के 10 वें गुरू गोबिंद सिंह से एक महान योद्धा, कवि, भक्त और आध्यात्मिक व्यक्तित्व वावे महापुरुष थे. गोबिंद सिंह जी ने ही खालसा पंथ की स्थापना की थी और इसे ही सिखों के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है.

इस बार गुरु गोबिंद सिंह की जयंती 9 जनवरी (Guru Gobind Singh Jayanti) को रविवार के दिन पड़ रही हैं. इस दिन देशभर में गुरुद्वारों को सजाया जाता है. इस दिन सिख लोग अरदास, भजन, कीर्तन करते हैं. साथ ही, गुरुद्वारे में मत्था टेकने जाते हैं. इतना ही नहीं, इस दिन गुरु गोबिंद सिंह के द्वारा बताए गए मार्ग पर चलने का संकल्प लेते हैं.
गुरुद्वाराों में लंगर (Langar In Gurudwara) आदि का आयोजन किया जाता है. गरीबों और जरूरतमंदों को जरूरत का समाना दान किया जाता है. लोग इस दिन गुरु नानक गुरु वाणी भी पढ़ते हैं. ताकि लोगों का सही मार्गदर्शन किया जा सके. आइए जानते हैं प्रकाश पर्व (Prakash Parv) से जुड़ी कुछ खास बातें.
जानें गुरु गोबिंद सिंह से जुड़ी खास बातें
- हिंदू पंचाग के अनुसार गुरु गोबिद सिंह जी का जन्म पौष माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को हुआ था. इस बार सप्तमी तिथि 08 जनवरी दिन शनिवार रात 10 बजकर 42 मिनट से शुरू होगी और 09 जनवरी को दिन में 11 बजकर 08 मिनट पर समाप्त होगी. हालांकि, बता दें कि गुरु गोबिंद सिंह का प्रकाश पर्व (Guru Gobind Singh Prakash Parv) सिखों के नानकशाही कैलेंडर (Nanakshahi Calander) के आधार पर तय किया जाता है.
- ग्रंथों के अनुसार गुरु गोबिंद सिंह का नाम बचपन में गोबिंद राय रखा गया था. सन् 1699 को बैसाखी वाले दिन गुरुजी पंज प्यारों से अमृत छककर गोबिंद राय से गुरु गोबिंद सिंह बन गए.
- सिखों के 10 वें और आखिरी गुरू गुरु गोबिंद सिंह जी थे. इन्होंने गुरु प्रथा को समाप्त करते हुए केवल गुरु ग्रंथ साहिब को ही सर्वोच्च बताया. इसके बाद से ही गुरु ग्रंथ साहिब की पूजा की जाने लगी और गुरु प्रथा समाप्त हो गई.
- खालसा वाणी- वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतह भी गुरु गोबिंद सिंह ने ही दिया था. इतना ही नहीं, खालसा पंथ की रक्षा के लिए गुरु गोबिंद सिंह जी ने मुगलों और उनके सहयोगियों से कई बार लड़ाई की.
- गुरू गोबिंद सिंह जी ने जीवन जीने के पांच सिद्धांत दिए, जिन्हें पांच ककार के नाम से जाना जाता है. पांच ककार हर खालसा सिख को धारण करना अनिवार्य है. ककार का का मतलब 'क' शब्द से शुरू होने वाली 5 चीजें केश, कड़ा, कृपाण, कंघा और कच्छा.
- गुरु गोबिंद सिंह जी को कई भाषाओं संस्कृत, फारसी, पंजाबी और अरबी आदि के खूब जानकारी थी. इतना ही नहीं, ये एक अच्छे लेखक भी थे. सिखों के बीच पढ़े जाने वाले कई ग्रंथों की रचना भी गुरू ग्रंथ साहिब ने की थी


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