प्रदोष व्रत ,जानें पूजा का शुभ समय और विधि

प्रदोष व्रत भगवान शिव (Shiv Bhagwan) को समर्पित होता है. इस दिन भगवान शिव की खास पूजा-अर्चना की जाती है.

Update: 2021-12-02 10:30 GMT


जनता से रिश्ता वेबडेस्क। प्रदोष व्रत भगवान शिव (Shiv Bhagwan) को समर्पित होता है. इस दिन भगवान शिव की खास पूजा-अर्चना की जाती है. दिसंबर माह का पहला प्रदोष व्रत आज यानी 2 दिसंबर 2021 को है. प्रदोष व्रत चन्द्र मास की दोनों त्रयोदशी के दिन किया जाता है जिसमे से एक शुक्ल पक्ष के समय और दूसरा कृष्ण पक्ष के समय होता है. प्रदोष का दिन जब सोमवार को आता है तो उसे सोम प्रदोष कहते हैं, मंगलवार को आने वाले प्रदोष को भौम प्रदोष कहते हैं और जो प्रदोष शनिवार के दिन आता है उसे शनि प्रदोष कहते हैं. आइए जानते हैं प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि इस दिन है अक्टूबर माह का अंतिम प्रदोष व्रत, जानें भगवान शिव की पूजा का समय, कथा और पूजा विधि
प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त
मार्गशीर्ष, कृष्ण त्रयोदशी
प्रारम्भ – 11:35 पी एम, दिसम्बर 01
समाप्त – 08:26 पी एम, दिसम्बर 02 ,October 4, 2021: प्रदोष व्रत आज, जानें भगवान शिव की पूजा का शुभ समय, पढ़ें पंचांग
प्रदोष व्रत पूजा विधि 
इस दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान शिव का अभिषेक करें. पंचामृत का पूजा में प्रयोग करें. धूप दिखाएं और भगवान शिव को भोग लगाएं. इसके बाद व्रत का संकल्प लें. मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव त्रयोदशी तिथि में शाम के समय कैलाश पर्वत पर स्थित अपने रजत भवन में नृत्य करते हैं. इस दिन भगवान शिव प्रसन्न होते हैंt  माह का पहला प्रदोष व्रत? जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और कथा
प्रदोष व्रत कथा 
एक नगर में तीन मित्र रहते थे– राजकुमार, ब्राह्मण कुमार और तीसरा धनिक पुत्र. राजकुमार और ब्राह्मण कुमार विवाहित थे, धनिक पुत्र का भी विवाह हो गया था, लेकि गौना शेष था. एक दिन तीनों मित्र स्त्रियों की चर्चा कर रहे थे. ब्राह्मण कुमार ने स्त्रियों की प्रशंसा करते हुए कहा- 'नारीहीन घर भूतों का डेरा होता है.' धनिक पुत्र ने यह सुना तो तुरन्त ही अपनी पत्‍नी को लाने का निश्‍चय कर लिया. तब धनिक पुत्र के माता-पिता ने समझाया कि अभी शुक्र देवता डूबे हुए हैं, ऐसे में बहू-बेटियों को उनके घर से विदा करवा लाना शुभ नहीं माना जाता, लेकिन धनिक पुत्र ने एक नहीं सुनी और ससुराल पहुंच गया. ससुराल में भी उसे मनाने की कोशिश की गई लेकिन वो ज़िद पर अड़ा रहा और कन्या के माता पिता को उनकी विदाई करनी पड़ी. विदाई के बाद पति-पत्‍नी शहर से निकले ही थे कि बैलगाड़ी का पहिया निकल गया और बैल की टांग टूट गई. दोनों को चोट लगी लेकिन फिर भी वो चलते रहे. कुछ दूर जाने पर उनका पाला डाकुओं से पड़ा. जो उनका धन लूटकर ले गए. दोनों घर पहुंचे. वहां धनिक पुत्र को सांप ने डस लिया. उसके पिता ने वैद्य को बुलाया तो वैद्य ने बताया कि वो तीन दिन में मर जाएगा. जब ब्राह्मण कुमार को यह खबर मिली तो वो धनिक पुत्र के घर पहुंचा और उसके माता-पिता को शुक्र प्रदोष व्रत करने की सलाह दी. और कहा कि इसे पत्‍नी सहित वापस ससुराल भेज दें. धनिक ने ब्राह्मण कुमार की बात मानी और ससुराल पहुंच गया जहां उसकी हालत ठीक होती गई. यानि शुक्र प्रदोष के माहात्म्य से सभी घोर कष्ट दूर हो गए.


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