पितृ पक्ष, जानिए पूजा विधि, तिथि और महत्व
भादों मास की पूर्णिमा तिथि से श्राद्ध पक्ष शुरू हो जाता है. हिंदू धर्म में भाद्रमास में पड़ने वाली पूर्णिमा बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है. आइए जानते हैं इस दिन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों के बारे में.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद मास चल रहा है. इस महीने में भगवान कृष्ण और भगवान गणेश की पूजा की जाती है. हिंदू धर्म में भाद्रपद मास पड़ने वाली पूर्णिमा का खास महत्व होता है. भाद्रपद पूर्णिमा (Bhadrapada Purnima) को श्राद्ध पूर्णिमा (Shraddha Purnima) के नाम से जाना जाता है. इस दिन से पितृ पक्ष शुरू हो जाता है. इस बार 20 सितंबर 2021 को श्राद्ध पूर्णिमा है. पूर्णिमा से श्राद्ध की तिथियां शुरू हो जाती है.
हिंदू पंचांग के अनुसार, पंचमी, एकादशी और सर्वपितृ अमावस्या को श्राद्ध की प्रमुख तिथियां मानी जाती है. पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा होती है. ज्योतिष शास्त्रों में चंद्रमा को मन का कारक माना जाता है. इस दिन श्रद्धालु पूर्णिमा का उपवास रखते है और चंद्रमा की पूजा -अर्चना करते है. इसके अलावा कुछ लोग सत्यनारयण भगवान की पूजा अर्चना करते हैं. आइए जानते हैं पूर्णिमा के शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में.
पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ – 20 सितंबर 2021 को सुबह 05 बजकर 30 मिनट पर और समाप्त 21 सितंबर 2021 को सुबह 05 बजकर 26 मिनट पर होगा. सुबह का समय होने का कारण पूर्णिमा 20 सितंबर को पड़ रही है.
श्राद्ध पूर्णिमा विधि
शास्त्रों के अनुसार, जो पूर्वज पूर्णिमा के दिन चले गए हैं उनका श्राद्ध ऋषियों को समर्पित होता है. इस दिन दिवंगत की तस्वीर को सामने रखकर पूजा अर्चना होती है. इस दिन पितरों के नाम से पिंड दान करना चाहिए और इसके पश्चात कौआ, गाय और कुत्तों को प्रसाद खिलाना चाहिए. इसके बाद ब्राह्मणों को खाना खिलाना चाहिए और बाद में स्वयं भी खाना चाहिए.
भाद्रपद पूर्णिमा का महत्व
पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करते हैं. इस दिन भगवान सत्यनारयण की पूजा करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है. जो लोग पूर्णिमा का व्रत रखते हैं उनके घर में सुख- समृद्धि का वास होता है. मान्यता है कि इस दिन स्नान दान करने का विशेष महत्व होता है. भाद्रपद पूर्णिमा को खास दिन माना जाता है क्योंकि इस दिन से पितृ पक्ष की शुरुआत हो जाती है.