Pitru Paksha 2021: किन तीन चीजों के बिना अधूरी है श्राद्ध कर्म प्रक्रिया, जानें

पितृपक्ष पूर्णिमा (Pitru Paksha Purnima) से श्राद्ध आरंभ हो चुके हैं. शुद्ध पितृपक्ष 21, सितबंर मंगलवार यानि कल से शुरुआत होगी. हिंदू धर्म में पितृपक्ष का विशेष महत्व है

Update: 2021-09-20 18:56 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Sharadh Karma Important Things: पितृपक्ष पूर्णिमा (Pitru Paksha Purnima) से श्राद्ध आरंभ हो चुके हैं. शुद्ध पितृपक्ष 21, सितबंर मंगलवार यानि कल से शुरुआत होगी. हिंदू धर्म में पितृपक्ष का विशेष महत्व है. किसी भी व्यक्ति की कुंडली में अगर संतान श्राप (Santan Shrap In Kundali), पिृत दोष (Pitru Dosh) या किसी भी तरह के ग्रह दोष है तो मुक्ति पाने के लिए महालय (Mahalay) यानी श्राद्ध पक्ष श्रेष्ठ उपाय है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि श्राद्ध कर्म के दौरान तीन चीजों के बिना श्राद्ध प्रक्रिया अघूरी रह जाएगी. शास्त्रों के अनुसार किसी भी श्राद्ध कर्ता को तर्पण आदि करते समय कुश, तिल और तुलसी का प्रयोग जरूर करना चाहिए. ऐसा करने से पितृ पूर्णरूप से तृप्त होकर अपने वंशजों को आर्शीवाद देकर अपने लोक चले जाते हैं. आइए जानते हैं कि श्राद्ध क्रिया में किन तीनों चीजों का होना जरूरी क्यों है.

1. शास्त्रों में कहा गया है कि कुश भगवान विष्णु का अहम हिस्सा है. सनातन धर्म में कुश को सबसे शुद्ध माना गया है. इसलिए श्राद्ध क्रिया के दौरान कुश को शामिल करना बहुत जरूरी है. धार्मिक मान्यता है कि कुश की उत्पत्ति भगवान विष्णु के रोम से हुई है. कहा जाता है कि इसे धारण करके तर्पण करने से पितर की आत्मा को बैकुंठ की प्राप्ति होती है.
2. पितृपक्ष में श्राद्ध के दौरान तिल का प्रयोग भी बहुत जरूरी होता है. क्योंकि तिल की उत्पत्ति भी विष्णु जी से हुई है. कहते हैं कि तिल की उत्पत्ति पसीने से हुई है. ऐसे में पिंडदान के समय तिल का प्रयोग करने से पितर को मोक्ष की प्राप्ति होती है.
3. तर्पण के समय काले तिल का इस्तेमाल शुभ माना जाता है. विष्णु जी को काले तिल प्रिय होने के कारण ही इसे तर्पण में प्रयोग किया जाता है. साथ ही ये यम के देवता को भी समर्पित है इसलिए श्राद्ध पक्ष में काले तिल शुभ माने जाते हैं. इसलिए पिंड दान करते समय चावल के साथ काले तिल मिलाए जाते हैं


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