Pithori Amavasya 2021 : कब है 'पिठोरी अमावस्या' , जानिए तिथि, समय, महत्व और पूजा विधि
पिठोरी अमावस्या हिंदू चंद्र कैलेंडर के भाद्रपद महीने का एक अमावस्या है. इस दिन, भक्त उपवास करके और पूजा करके देवी दुर्गा की पूजा करते हैं
पिठोरी अमावस्या हिंदू चंद्र कैलेंडर के भाद्रपद महीने का एक अमावस्या है. इस दिन, भक्त उपवास करके और पूजा करके देवी दुर्गा की पूजा करते हैं. इस अमावस्या का व्रत बहुत ही शुभ माना जाता है और विवाहित माताओं द्वारा अपने बच्चों की खुशी और स्वास्थ्य के लिए रखा जाता है.
'पिठोरी' में 'पिठ' का अर्थ आटा है जिससे त्योहार का नाम अस्तित्व में आया. इसे 'कुशोत्पतिनी अमावस्या' भी कहते हैं. आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में ये श्रावण अमावस्या पर है और पोला अमावस्या के रूप में मनाया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कुशोत्पतिनी का अर्थ कुशा का संग्रह होता है. धार्मिक कार्यों में प्रयोग की जाने वाली कुशा का इस अमावस्या में संग्रह किया जाता है. दरअसल, अमावस्या के अवसर पर उखाड़ा गया कुश का प्रयोग पूरे एक महीने तक किया जाता है.
इस साल ये 7 सितंबर, 2021 को मनाया जाएगा. हालांकि, अमावस्या 6 सितंबर से शुरू होगी लेकिन क्यूंकि उदय तिथि को अनुष्ठान के लिए माना जाता है, इसलिए ये 7 सितंबर को मनाई जाएगी.
पिठोरी अमावस्या 2021 की तिथि और समय
अमावस्या 6 सितंबर 2021 को सुबह 07:38 बजे शुरू होगी
अमावस्या 7 सितंबर, 2021 को सुबह 06:21 बजे समाप्त होगी
'पिठोरी अमावस्या' का महत्व
ऐसा माना जाता है कि अमावस्या व्रत कथा देवी पार्वती ने भगवान इंद्र की पत्नी को सुनाई थी. अमावस्या चंद्र मास के शुक्ल पक्ष की शुरुआत का प्रतीक है. पूर्वजों को श्रद्धांजलि देना और उन्हें प्रसन्न करना सबसे शुभ माना जाता है. ये दृढ़ता से माना जाता है कि अमावस्या के दिन पूर्वज यात्रा करते हैं और आशीर्वाद देते हैं.
इस दिन माता दुर्गा समेत 64 देवियों के आटे से मूर्तियां बनाते हैं और महिलाएं इन मूर्तियों की विधिवत पूजा-अर्चना करती हैं और इस दिन वो व्रत रखती हैं. इसीलिए इसे 'पिठोरी अमावस्या' कहा जाता है. इस दिन दान करने, तप करने और स्नान करने का विशेष महत्व है. इस दिन स्नान-ध्यान करके पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण और पिंडदान किए जाते हैं. ऐसा कहा जाता है कि इस दिन ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं और वो अपना आशीर्वाद देते हैं.
पूजा की विधि
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए. अगर आप किसी पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करते हैं तो उसकी बहुत अधिक मान्यता है. हालांकि, कोरोना के समय में घरों से बाहर निकलना सही नहीं है इसलिए आप अपने घर पर पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं. इसके बाद माता की पूजा विधिवत रूप से करें.