भरणी नक्षत्र में जन्मे लोग होते हैं साहसी और स्वाभिमानी

भरणी नक्षत्र आकाश मंडल का दूसरा नक्षत्र है। भरणी का अर्थ धारक होता है।

Update: 2021-05-12 09:49 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | भरणी नक्षत्र आकाश मंडल का दूसरा नक्षत्र है। भरणी का अर्थ धारक होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, दक्ष प्रजापति की पुत्री की भरणी जिसका विवाह चंद्रमा से हुआ था। उसी के नाम पर इस नक्षत्र का नामकरण किया गया था। भरणी नक्षत्र में यम का पूजन और व्रत किया जाता है।

जिन जातकों का जन्म भरणी नक्षत्र में होता है, उनकी राशि मेष होती है। मेष राशि का स्वामी मंगल होता है। लेकिन नक्षत्र का स्वामी शुक्र होता है। इस तरह से भरणी नक्षत्र के जातकों पर मंगल और शुक्र का प्रभाव जीवनभर रहता है। मंगल को ऊर्जा, साहस कला और सौंदर्य का कारक माना जाता है।
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भरणी नक्षत्र के लोगों का स्वभाव व व्यक्तित्व-
भरणी नक्षत्र में जन्मे लोग सच बोलने वाले, उत्तम विचार, धार्मिक कार्यों व फोटोग्राफी में रुचि रखने वाले, साहसी और प्रेरणादायक होते हैं। यह धुन के पक्के होते हैं। जिस काम को करने की ठान लेते हैं, उसे पूरा करके ही दम लेते हैं। ये वादे के पक्के होते हैं। इन्हें लोगों के साथ मिलने-जुलने में थोड़ा समय लगता है। यह धन को सोच-समझकर खर्च करते हैं। इन्हें अवसरों का इंतजार करना पसंद नहीं होता है बल्कि खुद ही अवसरों की तलाश करते हैं।
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अगर जन्म कुंडली में शुक्र व मंगल खराब स्थिति में होते हैं तो व्यक्ति हमेशा क्रूर, जल से डरने वाला, बुरे स्वभाव वाला और निंदित होता है। ऐसा जातक बुद्धिमान होने के बावजूद भी गलत लोगों के साथ रहने वाला, विरोधियों को नीचा दिखाने वाला, चतुर और रोग से आमतौर पर मुक्त रहने वाला होता है।
कहा जाता है कि इस नक्षत्र के लोगों को वाद-विवाद में नहीं पड़ना चाहिए। इन्हें अपनी तुलना करने से बचना चाहिए। भोग विलास से दूर रहना चाहिए। आपको सही मार्गदर्शन मिलने पर सफलता जल्दी पा लेते हैं। ईमानदार व स्वाभिमानी स्वभाव के होने के कारण यह अपनी बात साफ-साफ कहने में विश्वास रखते हैं।


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