संतान प्राप्ति के लिए खास हैं परशुराम द्वादशी, ऐसे करें पूजा

Update: 2024-05-18 06:16 GMT
नई दिल्ली : हर साल वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि पर परशुराम द्वादशी मनाई जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन परशुराम जी की विशेष पूजा-अर्चना और व्रत करने से संतान की प्राप्ति हो सकती है। ऐसे में चलिए जानते हैं परशुराम द्वादशी की पूजा विधि।
क्यों मनाई जाती है परशुराम द्वादशी
हिन्दू पुराणों के अनुसार, परशुराम ने घोर तपस्या की और उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर, भगवान शिव ने उन्हें भार्गवास्त्र अर्थात परशु अस्त्र प्रदान किया। माना जाता है कि परशुराम द्वादशी के दिन ही भगवान शिव ने परशुराम जी को दिव्य परशु अस्त्र प्रदान किया था। यह अस्त्र उन्हें पृथ्वी पर बढ़ रहे अर्धम का नाश करने के लिए सौपा गया था।
परशुराम द्वादशी पूजा विधि (Parshuram Dwadashi puja vidhi)
परशुराम द्वादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान-ध्यान से मुक्त हो जाएं और व्रत का संकल्प लें। इसके बाद घर के मंदिर में चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं और भगवान विष्णु व परशुराम जी की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें। गंगाजल या किसी शुद्ध जल से चित्र या मूर्ति को पवित्र करें। इसके बाद परशुराम जी का ध्यान करते हुए 21 पीले फूल अर्पित करें और इसके साथ ही पीले रंग की मिठाई भी जरूर चढ़ाएं। भोग में तुलसी पत्र डालना न भूलें। अंत में परशुराम जी की कथा सुनें और उनके मंत्रों का जाप करें।
करें इन मंत्रों का जाप
परशुराम द्वादशी के दिन इन मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति की हर मनोकामना जल्द ही पूर्ण हो जाती है। इन मंत्रों का जाप कम से कम 108 बार करना चाहिए।
ॐ जामदग्न्याय विद्महे महावीराय धीमहि तन्नो परशुराम: प्रचोदयात्।।
'ॐ रां रां ॐ रां रां परशुहस्ताय नम:।।
'ॐ ब्रह्मक्षत्राय विद्महे क्षत्रियान्ताय धीमहि तन्नो राम: प्रचोदयात्।।'
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