शुभ मुहूर्त में ही करें जन्माष्टमी व्रत का पारण, जानें कैसे और क्या खाकर खोलें उपवास
देशभर में जन्माष्टमी का पर्व आज 19 अगस्त को धूमधाम से मनाया गया है. भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. कृष्ण जी रात 12 बजे जन्मे थे
देशभर में जन्माष्टमी का पर्व आज 19 अगस्त को धूमधाम से मनाया गया है. भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था. कृष्ण जी रात 12 बजे जन्मे थे. इसलिए आज के दिन रात को 12 बजे की कान्हा का जन्मदिवस मनाया जाएगा. भगवान श्री कृष्ण की पूजा की जाएगी. उनका ऋंगार कर उन्हें भोग लगाया जाएगा. साथ ही, कान्हा की आरती और मंत्र जाप किया जाता है. इस दिन व्रत रखने वाले साधक रात 12 बजे तक भूखे-प्यासे रहकर व्रत रखते हैं.
हिंदू धर्म में कोई भी व्रत तभी पूर्ण माना जाता है, जब उसका पारण विधिपूर्वक किया जाता है. अगर पारण के नियमों को पालन न किया जाए, तो व्रत का पूरा फल नहीं मिलता. जन्माष्टमी का व्रत रखने से व्यक्ति को 20 करोड़ एकादशी जितना फल प्राप्ति होती है. साथ ही, जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं जन्माष्टमी व्रत के पारण का सही समय और इस दौरान क्या खाएं और क्या नहीं.
जन्माष्टमी तिथि का समापन 2022
जन्माष्टमी अष्टमी तिथि का आरंभ 18 अगस्त गुरुवार रात 09 बजकर 21 मिनट पर हुआ था. वहीं, तिथि का समापन 19 अगस्त, शुक्रवार 10 बजकर 50 मिनट पर किया जाएगा. बता दें कि ज्योतिष अनुसार 19 अगस्त को भगवान श्री कृष्ण की पूजा का शुभ मुहूर्त रात को 12 बजकर 03 मिनट से लेकर 12 बजकर 47 मिनट तक है. ऐसे में लोगों को 45 मिनट पूजा करने का समय है.
जन्माष्टमी पारण का समय 2022
19 अगस्त को जन्माष्टमी का व्रत रखने वाले लोग व्रत का पारण 20 अगस्त को शुभ मुहूर्त में करें. बता दें कि जन्माष्टमी का व्रत पारण अष्टमी तिथि के समाप्त होने के बाद ही किया जाता है. हालांकि, कुछ लोग रात में ही बांके बिहारी की पूजा के बाद व्रत का पारण कर लेते हैं. अपनी हिसाब से व्रत का पारण कर सकते हैं.
व्रत पारण समय- 19 अगस्त, रात 10 बजकर 59 मिनट के बाद
व्रत पारण समय - 20 अगस्त को प्रातः 05:45 बजे के बाद
यूं करें व्रत का पारण
जन्माष्टमी का व्रत कई लोग फलाहार करते हैं. ऐसे में कान्हा को भोग लगाने के बाद पंजीरी या माखन से ही व्रत का पारण करे. मान्यता है कि अगर कान्हा के भोग के प्रसाद से ही व्रत का पारण किया जाए, तो ही कान्हा की पूजा को पूर्ण माना जाता है. स्वास्थ्य के लिहाज से भी इसे ठीक माना जाता है.