5 जून 2022 का पंचांग: रविवार को पूरे दिन रहेगा वज्र नाम का अशुभ योग, जानिए अभिजीत मुहूर्त का समय
आगे जानिए आज के पंचांग से जुड़ी खास बातें…
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। उज्जैन. पंचांग के अनुसार, तिथि को तारीख या दिनांक कहते हैं। अन्य तारीख और तिथि में फर्क यह है कि यह दिन या रात में कभी भी शुरू हो सकती है। इसका संबंध चन्द्र के नक्षत्र में भ्रमण से होता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार माह के 30 दिन को चन्द्र कला के आधार पर 15-15 दिन के 2 पक्षों में बांटा गया है- शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। पंचांग के माध्यम से आप आसानी से हर दिन के शुभ मुहूर्त, राहु काल व ग्रहों के परिवर्तन के बारे में जान सकते हैं। पंचांग में आज कौन-सी तिथि और नक्षत्र तथा उनसे बनने वाले शुभ-अशुभ योगों की जानकारी भी दी जा सकती है। ये जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित हो सकती है। आगे जानिए आज के पंचांग से जुड़ी खास बातें…
5 जून का पंचांग (Aaj Ka Panchang 5 June 2022)
5 जून 2022, दिन रविवार को ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि रहेगी। रविवार को सूर्योदय अश्लेषा नक्षत्र में होगा, जो पूरे दिन रहेगा। रविवार को अश्लेषा नक्षत्र होने से वज्र नाम का अशुभ योग इस दिन बन रहा है। इस दिन राहुकाल शाम 05:26 PM से 07:06 PM तक रहेगा। इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें।
ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार से होगी...
रविवार को शनि कुंभ राशि में चाल बदलकर मार्गी से वक्री हो जाएगा यानी टेढ़ी चाल चलने लगेगा। शाम को चंद्रमा राशि परिवर्तन कर कर्क से सिंह में प्रवेश करेगा। इस दिन सूर्य और बुध वृषभ राशि में, राहु मेष राशि में, केतु तुला राशि में, मंगल, गुरु और शु्क्र मीन में और शनि कुंभ राशि में रहेंगे। रविवार को पश्चिम दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए। यदि करनी पड़े तो दलिया, घी या पान खाकर ही घर से निकलें।
5 जून के पंचांग से जुड़ी अन्य खास बातें
विक्रमी संवत- 2079
मास पूर्णिमांत- ज्येष्ठ
पक्ष- शुक्ल
दिन- रविवार
ऋतु- ग्रीष्म
नक्षत्र- अश्लेषा
करण- कौलव और तैतिल
सूर्योदय - 5:44 AM
सूर्यास्त - 7:06 PM
चन्द्रोदय - Jun 05 10:20 AM
चन्द्रास्त - Jun 05 11:55 PM
अभिजीत मुहूर्त - 11:58 AM - 12:51 PM
5 जून का अशुभ समय (इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें)
यम गण्ड - 12:25 PM – 2:05 PM
कुलिक - 3:45 PM – 5:26 PM
दुर्मुहूर्त - 05:19 PM – 06:12 PM
वर्ज्यम् - 01:25 PM – 03:09 PM
कैसे तैयार होता है पंचांग?
पंचांग मुख्य रूप से 5 अंगों से मिलकर बना होता है। ये हैं करण, तिथि, नक्षत्र, वार और योग। तिथि का आधा भाग करण कहलाता है। कुल 11 करण होते हैं। चन्द्र रेखांक को सूर्य रेखांक से 12 अंश ऊपर जाने के लिए जो समय लगता है, वह तिथि कहलाती है। आकाश मंडल में एक तारा समूह को नक्षत्र कहा जाता है। इसमें 27 नक्षत्र होते हैं और नौ ग्रहों को इन नक्षत्रों का स्वामित्व प्राप्त है। पंचांग के अनुसार, एक सप्ताह में सात वार होते हैं। नक्षत्र की ही तरह योग भी 27 प्रकार के होते हैं।
अश्लेषा मंडल का नौवां नक्षत्र है अश्लेषा
आकाश मंडल का नौवां नक्षत्र है अश्लेषा। इसका अर्थ है आलिंगन करना। अश्लेषा नक्षत्र के समूह में 6 तारे हैं जो कि चक्राकार हैं। मतांतर से इसे सर्पाकार भी माना जाता है। अश्लेषा नक्षत्र के तारा चक्र को सर्पराज वासुकी के सिर में स्थान मिला है इसका संबंध सर्प की कुंडली से है। अश्लेषा नक्षत्र में जन्में लोग सफल व्यापारी, वकील, भाषण कला में निपुण होते हैं। ये लोग ईमानदार तो होते ही हैं, लेकिन ये आसानी से किसी पर विश्वास नहीं करते हैं। ये हठीले और जिद्दी स्वभाव के होते हैं।