पांच तरह के पदार्थों से बनता है पंचामृत, शरीर होता है रोग मुक्त

इनके बनाने की विधि भी अलग-अलग होते हैं. इसके अलावा इसके फायदे भी भिन्न-भिन्न होते हैं. जानते हैं कि पंचामृत और चरणामृत के बारे में आवश्यक बातें

Update: 2021-12-28 18:30 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू धर्म में किसी भी कथा-पूजा के बाद पंचामृत और चरणामृत दिया जाता है. पंचामृत और चरणामृत को बहुत महत्व दिया गया है. मान्यता है कि ये सेहत के लिए भी लाभकरी होता है. पंचामृत और चरणामृत को लोग एक ही समझते हैं. लेकिन इन दोनो में अंतर होता है. इनके बनाने की विधि भी अलग-अलग होते हैं. इसके अलावा इसके फायदे भी भिन्न-भिन्न होते हैं. जानते हैं कि पंचामृत और चरणामृत के बारे में आवश्यक बातें.

पंचामृत और चरणामृत क्या होता है
पंचामृत का पांच प्रकार के शुद्ध पदार्थों से बनया जाता है. साथ ही इसे इस प्रकार बनाया जाता है कि यह पीने योग्य हो सके. जबकि चरणामृत भगवान विष्णु के चरणों के जल के जल को कहते हैं. इसे तांबे के बर्तन में तुलसी और तिल के साथ रखा जाता है. जिस कारण इसमें तांबे के औषधीय गुण समा जाते हैं.
कैसे बनाते हैं पंचामृत
पंचामृत बनाने में गाय का दूध, गाय का घी, दही, शहद और शक्कर का इस्तेमाल किया जाता है. पंचामृत में इस्तेमाल किए जाने वाले हर चीज का अलग-अलग महत्व है.
पंचामृत के फायदे
पंचामृत लेने से शरीर रोग मुक्त होता है. माना जाता है कि जिस प्रकार भगवान को पंचामृत से स्नान कराया जाता है, उसी प्रकार यदि इंसान भी स्नान करता है तो उसके शरीर बीमार नहीं पड़ता है. पंचामृत का सेवन अधिक मात्रा में नहीं करना चाहिए.
चरणामृत लेने के नियम
मान्यता है कि चरणामृत लेने के बाद भूलकर भी उस हाथ को सिर के उपर नहीं फेरना चाहिए. क्योंकि ऐसा करने से नकारात्मक असर होता है. इसके अलावा चरणामृत हमेशा दाएं हाथ से लेना चाहिए. साथ ही शांत चित्त से ग्रहण करना चाहिए


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