धन की देवी लक्ष्मी का वाहन है उल्लू, पशु-पक्षियों पर देवी-देवता क्यों करते हैं सवारी

देवी-देवताओं के वाहन के रुप में पशु-पक्षियों को जोड़ने के पीछे कई कारण बताए गए हैं. जानते हैं कि देवी-देवताओं को उनका वाहन पशु-पक्षी कैसे प्राप्त हुए

Update: 2022-01-05 15:40 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू धर्म में सभी देवी-देवताओं की पूजा के अलग-अलग विधान हैं. पुराणों में देवी-दवताओं के पसंद और नापसंद का भी जिक्र है. इसके अलवा किन देवी-देवताओं को कौन सा फूल चढ़ाना चाहिए इसका भी उल्लेख धर्म शास्त्रों मिलता है. इसी प्रकार पुराणों में हर देवी-देवताओं के वाहनों का भी वर्णन है. देवी-देवताओं के वाहन के रुप में पशु-पक्षियों को जोड़ने के पीछे कई कारण बताए गए हैं. जानते हैं कि देवी-देवताओं को उनका वाहन पशु-पक्षी कैसे प्राप्त हुए.

कार्तिकेय और मोर
पुराणों के मुताबिक भगवान विष्णु ने कार्तिकेय की साधना से खुश होकर उन्हें मोर का वाहन भेंट किया. मान्यता है कि मोर चंचलता का प्रतीक है. कार्तिकेय का वाहन इस बात का सूचक है कि भगवान कार्तिकेय ने मोर रूपी चंचल मन को अपने वश में कर लिया है.
देवी सरस्वति और हंस
विद्या और ज्ञान की देवी मां सरस्वती का वाहन हंस है. शास्त्रों में हंस परित्रता का प्रतीक माना गया है. वाहन के रुप में हंस इस बात को दर्शाता है कि ज्ञान के द्वारा जिज्ञासा को शांत किया जा सकता है.
मां दुर्गा की सवारी शेर
देवी दुर्गा का वाहन शेर है. मां दुर्गा को शक्ति की देवी कहा जाता है. शेर भी शक्ति, और पराक्रम का प्रतीक है. माना जाता है देवी दुर्गा को उनके स्वभाव के कारण वाहन के रुप में शेर प्रदान किया गया.
भगवान शिव और नंदी
भगवान भोलेनाथ सौम्य और शांत स्वभाव के हैं. नंदी बैल का भी स्वभाव शांत होता है. नंदी बैल का स्वभाव भगवान शिव से मिलने के कारण सवारी के रुप में शिव को बैल प्रदान किया गया.
मां लक्ष्मी और उल्लू
शास्त्रों में उल्लू को शुभता और धन-संपत्ति का प्रतीक माना गया है. माना जाता है कि अधिक संपत्ति होने के बाद व्यक्ति बुद्धि से अपना नियंत्रण खो देता है. उल्लू को रात में दिखाई देता है. यही कारण है कि मां लक्ष्मी का वाहन उल्लू इंसान के अंधकार को मुक्त कर देता है.


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