सही आसन पर ही बैठकर करनी चाहिए ईश्वर की साधना, वरना हो सकता है नुकसान

ईश्वर की पूजा, हवन, मंत्र जाप आदि करते समय हमेशा आसन बिछाकर ही बैठने की परंपरा रही है.

Update: 2021-07-15 10:08 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | ईश्वर की पूजा, हवन, मंत्र जाप आदि करते समय हमेशा आसन बिछाकर ही बैठने की परंपरा रही है. किसी भी कामना के लिए किये वाले पूजन कार्य के लिए प्रयोग में लाया जाने वाला आसन बहुत महत्वपूर्ण है. हिंदू धर्म में विभिन्न प्रकार के देवी-देवताओं से आशीर्वाद पाने के लिए अलग-अलग आसन पर बैठकर पूजा करने को विधान है. आइए जानते हैं कि आखिर किस पूजा में किस आसन को बिछाकर बैठने पर शुभ फलों की प्राप्ति होती है.

किस जगह बिछाएंं आसन

किसी भी आसन पर बैठकर पूजा करने से पहले हमें उसके लिए भूमि पर ध्यान देना चाहिए. हमेशा हमें शुद्ध एवं पवित्र भूमि पर आसन बिछाकर ईश्वर की साधना करनी चाहिए.

इन पर बैठकर कभी न करें पूजा

किसी भी साधक को ढीले वस्त्र पहनकर साधना नहीं करनी चाहिए. इसे एक प्रकार का दोष माना गया है, जिससे जातक के जीवन में दरिद्रता आती है. इसी तरह जमीन पर बैठकर, पत्थर, ऊबड़- खाबड़ स्थान पर बैठकर भी पूजा नहीं करनी चाहिए. ऐसा करने पर तमाम तरह के रोग होते हैं. लकड़ी के आसन पर बैठकर पूजा करने को पूरी तरह से मनाही है क्योंकि ऐसी साधना पूरी तरह से (निष्फल) होती है .

प्राचीन काल में ​ऋषि-मुनि मृगचर्म पर बैठकर ही अपनी जप-तप, साधना, अनुष्ठान आदि किया करते थे क्योंकि यह आसन पुण्य एवं मोक्ष प्रदान करने वाला होता है. इस आसन पर बैठकर की जाने वाली साधना शीघ्र ही सफल होती है.

व्याघ्रचर्म आसन

मृगचर्म की तरह व्याघ्रचर्म आसन आसन का प्रयोग भी प्राचीन काल में हुआ करता था. व्याघ्रचर्म आसन को तेज, बल और साहस में वृद्धि के लिए अत्यंत शुभ माना गया है.

कंबल का आसन

किसी भी कार्य की सिद्धि के लिए कंबल का आसान अत्यंत शुभ माना गया है. पवित्र माना जाने वाले कंबल पर बैठकर साधना करने से सिद्धि प्राप्त होती है

रेशमी कपड़े का आसन

रेशम कपड़े से बना आसन सभी प्रकार की पूजा के शुभ फल को दिलाने वाला होता है. सभी प्रकार की सिद्धि प्राप्त करने के लिए यह आसन भी उत्तम माना गया है.

कुशा का आसन

ईश्वर की साधना-आराधना के लिए कुश के आसान का बहुत ज्यादा महत्व है. अत्यंत पवित्र माने जाने वाले इस आसन पर बैठकर साधना करने पर अनंत फल की प्राप्ति होती है.

इन बातों का भी रखें ध्यान

ईश्वर की पूजा के लिए कभी भी दूसरे का आसन प्रयोग में नहीं लाया जाना चाहिए. पूजा के लिए प्रयोग में लाये जाने वाले आसन के रंगो का भी महत्व है. शुभ फलों की प्राप्ति के लिए देवी-देवता, वार या कामना विशेष की पूजा-साधना आदि करते समय उनसे संबंधित शुभ रंग के आसन का ही प्रयोग करें. जैसे सुख शांति, ज्ञान प्राप्ति, विद्या प्राप्ति और ध्यान साधना के लिए पीला आसन श्रेष्ठ माना गया है.

(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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