इस दिन है संतान सप्तमी व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

संतान सप्तमी व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को रखा जाता है. संतान सप्तमी के नाम से ही पता चलता है कि यह व्रत संतान और उसकी मंगलकामना के लिए रखा जाता है.

Update: 2022-09-02 06:23 GMT

संतान सप्तमी व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को रखा जाता है. संतान सप्तमी (Santan Saptami) के नाम से ही पता चलता है कि यह व्रत संतान और उसकी मंगलकामना के लिए रखा जाता है. संतानहीन दंपत्ति यह व्रत संतान प्राप्ति के लिए रखते हैं. इस व्रत में महादेव और माता पार्वती की पूजा की जाती है. इस व्रत को माताएं या फिर पिता या स्त्री और पुरुष दोनों साथ ही रख सकते हैं. संतान सप्तमी व्रत के दिन ही ललिता सप्तमी, मुक्ताभरण सप्तमी और अपराजिता सप्तमी मनाई जाती है. केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बता रहे हैं संतान सप्तमी व्रत की तिथि, मुहूर्त, पूजा के महत्व के बारे में.

संतान सप्तमी तिथि 2022

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि 02 सितंबर दिन शुक्रवार को दोपहर 01 बजकर 51 मिनट से प्रारंभ हो रही है और इस तिथि का समापन अगले दिन 03 सितंबर शनिवार को दोपहर 12 बजकर 28 मिनट पर होगा. उदयातिथि की मान्यता के अनुसार, संतान सप्तमी का व्रत 03 सितंबर को रखना उचित है. इस दिन ही व्रत और पूजा करना चाहिए.

संतान सप्तमी 2022 पूजा मुहूर्त

संतान सप्तमी व्रत की पूजा दोपहर में करते हैं. इस दिन का शुभ समय यानि अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 55 मिनट से दोपहर 12 बजकर 46 मिनट तक है. जो लोग प्रातःकाल में पूजा करना चाहते हैं, वे सुबह 07 बजकर 35 मिनट से सुबह 09 बजकर 10 मिनट के बीच कर सकते हैं. इसके अलावा दोपहर में 01 बजकर 55 मिनट से शाम 05 बजकर 05 मिनट के मध्य भी संतान सप्तमी की पूजा कर सकते हैं.

संतान सप्तमी व्रत का महत्व

1. संतान सप्तमी का व्रत और पूजा संतान के सुख, समृद्धि और खुशहाल जीवन के लिए किया जाता है.

2. विवाह के काफी समय तक जिन लोगों को संतान सुख प्राप्त नहीं हो पाया है, वे लोग भी संतान सप्तमी का व्रत रखते हैं.


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