माता पार्वती के पूछने पर भगवान शंकर ने उन्हें बताया विजयादशमी का महत्व

आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में दशमी तिथि को विजयदशमी अथवा दशहरा का पर्व मनाया जाता है. इसी दिन क्षत्रिय शस्त्र पूजन करते हैं तो ब्राह्मण सरस्वती पूजन. इस पर्व को मां भगवती के विजया नाम के कारण भी विजयादशमी कहा जाता है.

Update: 2022-10-05 02:27 GMT

आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में दशमी तिथि को विजयदशमी अथवा दशहरा का पर्व मनाया जाता है. इसी दिन क्षत्रिय शस्त्र पूजन करते हैं तो ब्राह्मण सरस्वती पूजन. इस पर्व को मां भगवती के विजया नाम के कारण भी विजयादशमी कहा जाता है. इसी दिन अयोध्या नरेश भगवान श्री राम चन्द्र ने चौदह वर्ष वनवास भोगने के साथ ही लंकापति रावण का वध कर लंका पर विजय प्राप्त की थी. इसलिए भी इस पर्व को विजयादशमी कहा जाता है. ऐसा भी माना जाता है कि आश्विन शुक्ल दशमी को तारा उदय होने के समय विजय नामक काल होता है. यह काल सर्व कार्य सिद्धि दायक होता है.

शत्रु पर विजय पाने को इसी काल में करना चाहिए प्रस्थान

एक बार माता पार्वती के पूछने पर भगवान शंकर ने विजयदशमी का महत्व बताते हुए कहा कि इस दिन विजय काल होता है इसलिए राजाओं को शत्रु पर विजय पाने के लिए इसी दिन प्रस्थान करना चाहिए. इस दिन श्रवण नक्षत्र का योग और भी शुभ माना गया है. श्री राम ने इसी विजयकाल में लंका पर चढ़ाई की थी. शत्रु से युद्ध करने का प्रसंग न होने पर भी राजाओं को इसी काल में अपने सैन्य बल के साथ सीमा का उल्लंघन करना चाहिए.

इसी काल में शमी वृक्ष ने अर्जुन का धनुष धारण किया

शिव जी ने माता पार्वती से कहा कि दुर्योधन ने पांडवों को हराकर 12 वर्ष के वनवास के साथ तेरहवें वर्ष में अज्ञातवास की शर्त रखी थी. तेरहवें वर्ष में उनका पता लगने पर फिर से 12 वर्ष का वनवास भोगना था. इसी अज्ञातवास में अर्जुन ने अपना धनुष तथा अन्य शस्त्र एक शमी वृक्ष पर रखे और स्वयं वृहन्नला बनकर राजा विराट के यहां नौकरी करने लगे. जब गोरक्षा के लिए राजा विराट के पुत्र उत्तर ने अर्जुन को साथ लिया तो अर्जुन ने शमी वृक्ष से अपना धनुष और शस्त्र उतार कर शत्रुओं पर विजय प्राप्त की थी.

शमी ने श्री राम की विजय का उद्घोष किया

विजयादशमी के दिन लंका पर चढ़ाई करने के ठीक पहले शमी वृक्ष ने भगवान श्री राम की विजय का उद्घोष किया था. इसीलिए विजय काल में शमी वृक्ष का पूजन होता है.


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