गुड़ी पड़वा के मौके पर नीम मिश्रित जल से हुआ बाबा महाकाल का स्नान

Update: 2024-04-09 07:55 GMT
ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में भी आज चैत्र शुक्ल प्रतिपदा गुड़ी पड़वा धूमधाम से मनाई गई। इस दौरान पुजारियों ने कोटितीर्थ कुंड पर सूर्य को अर्घ्य देकर नवसंवत्सर का स्वागत किया। इसके बाद बाबा महाकाल को नीम के जल से स्नान कराकर पंचामृत पूजन अभिषेक किया गया। पुजारियों द्वारा भगवान को नीम-मिश्री का शर्बत अर्पित किया गया। इसके बाद भक्तों को प्रसादी वितरित की जाएगी। महाकाल मंदिर में आज मंदिर के शिखर पर नई ध्वजा भी स्थापित की गई.
पुजारी पं. महेश शर्मा ने बताया कि ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में भी यह परंपरा है। जिसका पालन समय-समय पर किया जाता है। चैत्र मास में ऋतु परिवर्तन तब होता है जब चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हिंदू नववर्ष प्रारंभ होता है। यह महीना गर्मियों की शुरुआत का प्रतीक है। इसके प्रभाव से वात, कफ, पित्त बढ़ता है। यह कई बीमारियों का कारण बनता है। वात, कफ, पित्त के निदान के लिए नीम का सेवन महत्वपूर्ण है। आयुर्वेद में भी नीम मिश्री के सेवन को अमृत बताया गया है। नीम के पानी से नहाने से त्वचा रोग ठीक हो जाते हैं। इसलिए ज्योतिर्लिंग की परंपरा में पूरे विश्व को आयुर्वेद के माध्यम से समय का बोध, तिथियों का महत्व और स्वस्थ रहने का संदेश दिया जाता है। इसलिए इस दिन भगवान महाकाल को नीम युक्त जल से स्नान कराया जाता है। साथ ही नीम का पानी भक्तों को प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है।
भांग और ड्राईफूट से बना मेकअप
विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में आज चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि मंगलवार को सुबह चार बजे भस्म आरती के दौरान पंडे पुजारी ने गर्भगृह में स्थापित भगवान की सभी मूर्तियों का पूजन कर जलाभिषेक किया। दूध, दही, घी, शकर फलों के रस से बने पंचामृत से भगवान महाकाल का पूजन किया गया। इसके बाद घंटा-घड़ियाल बजाकर सबसे पहले हरिओम जल अर्पित किया गया। कपूर आरती के बाद बाबा महाकाल को चांदी का मुकुट और रुद्राक्ष व फूलों की माला पहनाई गई. आज के शृंगार की खास बात यह रही कि एकम भस्मारती में आज बाबा महाकाल का शृंगार अलग रूप में किया गया। जिसमें बाबा महाकाल का भांग और सूखे मेवों से शृंगार किया गया. शृंगार के बाद बाबा महाकाल के ज्योतिर्लिंग को कपड़े से ढककर जलाभिषेक किया गया। भस्म आरती में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए, जिन्होंने बाबा महाकाल के इस दिव्य स्वरूप के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया
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