दुर्गाष्टमी के दिन है कन्या पूजन का विधान, बन रहा है स्वार्थसिद्धि योग; जानें शुभ मुहूर्त

माना जाता है कि अलग-अलग रूप की कन्याएं देवी के अलग-अलग स्वरूप को दर्शाती हैं. ऐसे में जानते हैं कि चैत्र नवरात्रि में कन्या पूजन की तिथि, शुभ मुहूर्त और विधि.

Update: 2022-04-05 08:44 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Chaitra Navratri 2022: नवरात्रि में कन्या पूजन का विशेष महत्व है. इस वक्त चैत्र नवरात्रि का पर्व चल रहा है. चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की उपासना का विधान है. अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन का खास महत्व बताया गया है. इस दिन 2 वर्ष से 11 वर्ष की बच्चियों की पूजा की जाती है. माना जाता है कि अलग-अलग रूप की कन्याएं देवी के अलग-अलग स्वरूप को दर्शाती हैं. ऐसे में जानते हैं कि चैत्र नवरात्रि में कन्या पूजन की तिथि, शुभ मुहूर्त और विधि.

दुर्गाष्टमी, कन्या पूजन शुभ मुहूर्त (Kanya Pujan 2022)
नवरात्रि के अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन किया जाता है. इस बार अष्टमी तिथि 09 अप्रैल को पड़ रही है. इसे महाष्टमी भी करते हैं. अष्टमी तिथि की शुरुआत 8 अप्रैल को रात 11 बजकर 05 मिनट से हो रही है. साथ ही अष्टमी तिथि का समापन 9 अप्रैल की देर रात 1 बजकर 23 मिनट पर होगा. इसके अलवा इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 6 बजकर 2 मिनट तक है. सुकर्मा योग दिन में 11 बजकर 25 मिनट से 11 बजकर 58 मिनट तक है. दिन का शुभ मुहूर्त 11 बजकर 58 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक है. इन शुभ मुहूर्त में कन्या पूजन किया जाता है.
राम नवमी 2022 (Ram Navami 2022)
चैत्र शुक्ल नवमी को राम नवमी कहते हैं. इस दिन भी कन्या पूजन किया जाता है. पंचांग के मुताबिक नवमी तिथि का आरंभ 10 अप्रैल की रात्रि 1बजकर 23 मिनट से हो रहा है. जो कि 11 अप्रैल सुबह 3 बजकर 15 मिनट तक है. इस दिन सुकर्मा योग दोपहर 12 बजकर 4 मिनट तक है. इसके अलावा इस दिन रवि पुष्य योग, रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग पूरे दिन है. ऐेसे में इस दिन सुबह से ही कन्या पूजन कर सकते हैं.
कन्या पूजन विधि (Kanya pujan)
शास्त्रों के मुताबिक कन्या पूजन के लिए एक दिन पहले कन्याओं को निमंत्रण दिया जाता है. कन्या को घर में पधारने पर उनके पैरों को धोना चाहिए. इसके बाद उन्हें उचित स्थान पर बैठाना चाहिए. फिर कन्याओं के माथे पर अक्षत और कुमकुम लगाएं. इसके बाद मां दुर्गा का ध्यान करके देवी रूपी कन्याओं को इच्छा अनुसार भोजन कराएं. भोजन के बाद कन्याओं को सामर्थ्य के मुताबिक दक्षिणा या उपहार दें और उनके पैर छूकर आशीर्वाद लें.


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