Mangala Gauri Vrat ज्योतिष न्यूज़ : हिंदू पंचांग के अनुसार कल यानी 22 जुलाई से सावन का महीना शुरू हो चुका है और कल ही सावन का पहला सोमवार था। यह पूरा महीना भगवान शिव की साधना को समर्पित होता है इस महीने भक्त भोलेनाथ की भक्ति में लीन रहते हैं और दिनभर पूजा पाठ व व्रत आदि करते हैं जिस तरह सावन में सोमवार शिव साधना के लिए उत्तम माना गया है ठीक उसी तरह सावन का मंगलवार माता पार्वती की पूजा के लिए श्रेष्ठ होता है इस दिन महिलाएं और कुंवारी कन्याएं उपवास रखकर मां गौरी की विधिवत पूजा करती है इस दिन किए जाने वाले व्रत को मंगला गौरी व्रत के नाम से जानते हैं
सावन का पहला मंगला गौरी व्रत आज यानी 23 जुलाई दिन मंगलवार को रखा जा रहा है इस दिन शादीशुदा महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए दिनभर उपवास रखती है तो वही कुंवारी कन्याएं मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए पूजा पाठ और व्रत करते हैं माना जाता है कि मंगला गौरी के दिन शिव पार्वती की पूजा करने से देवी की असीम कृपा बरसती है और दुख दूर हो जाते हैं लेकिन इसी के साथ ही अगर आज मंगला गौरी पूजा के दौरान दुर्गा चालीसा का पाठ श्रद्धा के साथ किया जाए साथ ही अंत में देवी से मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए प्रार्थना की जाए तो इच्छा पूरी हो जाती है और शीघ्र विवाह के योग बनते हैं।
दुर्गा चालीसा
नमो नमो दुर्गे सुख करनी।नमो नमो अम्बे दुःख हरनी॥
निराकार है ज्योति तुम्हारी।तिहूँ लोक फैली उजियारी॥
शशि ललाट मुख महाविशाला।नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥
रूप मातु को अधिक सुहावे।दरश करत जन अति सुख पावे॥
तुम संसार शक्ति लय कीना।पालन हेतु अन्न धन दीना॥
अन्नपूर्णा हुई जग पाला।तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥
प्रलयकाल सब नाशन हारी।तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें।ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥
रूप सरस्वती को तुम धारा।दे सुबुद्धि ऋषि-मुनिन उबारा॥
धरा रूप नरसिंह को अम्बा।प्रगट भईं फाड़कर खम्बा॥
रक्षा कर प्रह्लाद बचायो।हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं।श्री नारायण अंग समाहीं॥
क्षीरसिन्धु में करत विलासा।दयासिन्धु दीजै मन आसा॥
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी।महिमा अमित न जात बखानी॥
मातंगी अरु धूमावति माता।भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥
श्री भैरव तारा जग तारिणी।छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥
केहरि वाहन सोह भवानी।लांगुर वीर चलत अगवानी॥
कर में खप्पर-खड्ग विराजै।जाको देख काल डर भाजे॥
सोहै अस्त्र और त्रिशूला।जाते उठत शत्रु हिय शूला॥
नगर कोटि में तुम्हीं विराजत।तिहुंलोक में डंका बाजत॥
शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे।रक्तबीज शंखन संहारे॥
महिषासुर नृप अति अभिमानी।जेहि अघ भार मही अकुलानी॥
रूप कराल कालिका धारा।सेन सहित तुम तिहि संहारा॥
परी गाढ़ सन्तन पर जब-जब।भई सहाय मातु तुम तब तब॥
अमरपुरी अरु बासव लोका।तब महिमा सब रहें अशोका॥
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी।तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥
प्रेम भक्ति से जो यश गावै।दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई।जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥
जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥
Mangla gauri vrat 2024 durga chalisa path during maa durga puja
शंकर आचारज तप कीनो।काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को।काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥
शक्ति रूप को मरम न पायो।शक्ति गई तब मन पछितायो॥
शरणागत हुई कीर्ति बखानी।जय जय जय जगदम्ब भवानी॥
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा।दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥
मोको मातु कष्ट अति घेरो।तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥
आशा तृष्णा निपट सतावे।मोह मदादिक सब विनशावै॥
शत्रु नाश कीजै महारानी।सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥
करो कृपा हे मातु दयाला।ऋद्धि-सिद्धि दे करहु निहाला॥
जब लगि जियउं दया फल पाऊं।तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं॥
दुर्गा चालीसा जो नित गावै।सब सुख भोग परमपद पावै॥
देवीदास शरण निज जानी।करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥