4 दिसंबर को शनि अमावस्या, साढ़ेसाती और ढैय्या के कष्टों से दिला सकती है मुक्ति, शनिदेव का इस तरह करें पूजन
शास्त्रों में अमावस्या और पूर्णिमा दोनों ही तिथियों को बहुत महत्व दिया गया है. 4 दिसंबर को मार्गशीर्ष मास की अमावस्या है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। शास्त्रों में अमावस्या और पूर्णिमा दोनों ही तिथियों को बहुत महत्व दिया गया है. 4 दिसंबर को मार्गशीर्ष मास की अमावस्या (Margashirsha Amavasya) है. मार्गशीर्ष मास को अगहन मास भी कहा जाता है, इसलिए इस अमावस्या को अगहन अमावस्या (Aghan Amavasya) के नाम से भी जाना जाता है. इस अमावस्या के दिन शनिवार है, इस कारण इसका महत्व और भी बढ़ गया है.
जब अमावस्या तिथि शनिवार के दिन पड़ती है तो इसे शनैश्चरी अमावस्या (Shani Amavasya) कहा जाता है. साढ़ेसाती, ढैय्या और शनि से जुड़े कष्टों से मुक्ति पाने के लिए शनैश्चरी अमावस्या का दिन बेहद शुभ माना जाता है. ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र की मानें तो शनैश्चरी अमावस्या के दिन शनिदेव का विशेष पूजन करने से तमाम कष्टों से मुक्ति मिल सकती है. जानें पूजन विधि और अन्य जरूरी जानकारी.
घर पर इस तरह करें पूजन
अमावस्या के दिन सुबह जल्दी स्नानादि से निवृत्त हो जाएं. अब जमीन को साफ करके चौक बनाएं और एक लकड़ी के पाटे पर काला कपड़ा बिछाकर उस पर शनिदेव की प्रतिमा, यंत्र या सुपारी रखें. सरसों के तेल का दीपक जलाएं व धूप जलाएं. इसके बाद शनिदेव पर अबीर, गुलाल, सिंदूर, कुंकुम, काजल लगाकर नीले फूल अर्पित करें. फिर शनिदेव को तेल में तली पूड़ी और तेल से बनी अन्य चीजों का भोग लगाएं और फल अर्पित करें. 5, 7, 11 या 21 बार शनि मंत्र का जाप करें और शनि चालीसा का पाठ करें. इसके बाद आरती करें.
मंदिर में भी दीपक रखना शुभ
अगर आपके घर के आसपास शनि मंदिर हो तो वहां जरूर जाएं. मंदिर में शनिदेव की प्रतिमा के समक्ष सरसों के तेल का दीपक व सरसों के तेल के बने मिष्ठान अर्पित करें. पीपल के नीचे भी एक सरसों के तेल का दीपक रखें. इसके अलावा काले तिल, काली उड़द, काला कपड़ा, लोहे की कोई चीज और सरसों का तेल आदि सामर्थ्य के अनुसार किसी जरूरतमंद को दान करें. इसके बाद दशरथकृत शनि स्तोत्र का तीन बार पाठ करें. शनि मंत्र और शनि चालीसा पढ़ सकते हैं. ऐसा करने से शनि की महादशा के कष्ट कटते हैं और शनि की कृपा मिलती है.
इन बातों का भी रहे खयाल
1. शनिदेव के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाते समय उसमें काली उड़द की साबुत दाल, थोड़े काले तिल और एक लोहे की कोई कील या अन्य वस्तु डाल दें.
2. शनिवार के दिन काला या गहरा नीला वस्त्र पहनना शुभ होता है. इसलिए ऐसे ही रंग के वस्त्र पहनना उत्तम होगा. शनिदेव को नीला फूल अर्पित करें.
3. रुद्राक्ष की माला से शनिदेव के मंत्र का जाप करें. कम से कम एक माला करें.
4. पीपल के पेड़ पर जल चढ़ा कर सात बार परिक्रमा करें.
5. शनिदेव का पूजन करते समय उनसे कभी आंख न मिलाएं क्योंकि शनि की वक्र दृष्टि है. सिर झुकाकर नमन करके उनकी पूजा करें.