भारत में नहीं इस जगह है मां दुर्गा का पहला शक्तिपीठ, यहां नवरात्रि में सजता है खास पंडाल
पहला शक्तिपीठ, यहां नवरात्रि में सजता है खास पंडाल
शारदीय नवरात्रि का पर्व 15 अक्टूबर 2023 से शुरू हो रहा है। नौ दिनों के इस पर्व में भक्त जगह-जगह माता के दर्शन के लिए मंदिरों में जाना पसंद करते हैं। माता के कुल 51 शक्तिपीठों के दर्शन के लिए हर साल लाखों की संख्या में लोग ट्रैवल करते हैं।
यह सभी शक्तिपीठ देश के अलग-अलग हिस्सों में स्थित है। लेकिन आपको ये बात जानकर हैरानी होगी कि माता का पहला पहला शक्तिपीठ भारत में नहीं बल्कि पाकिस्तान में स्थित है।
माना जाता है कि जब माता सती ने स्वयं को अग्निकुंड में सौंप दिया था, तब भगवान शिव काफी निराश होकर तांडव करने लगे थे। वह माता के मृत शरीर को हाथ में उठाकर तांडव नृत्य करने लगे। भगवान शिव का ऐसा हाल देखकर पूरे संसार में हाहाकार मच गया।
माता के शरीर को क्यों 51 भागों में काटा गया?
भोलेनाथ का ऐसा हाल देखकर भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता के शरीर को 51 भाग में काट दिया था। कहा जाता है कि माता के शरीर के 51 भाग जहां भी गिरे, वहां माता का शक्तिपीठ स्थापित है।
लेकिन हैरानी वाली बात यह है कि माता के शरीर का पहला हिस्सा यानी सिर भारत में न हो कर पाकिस्तान में गिरा था। पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में मां के शरीर का पहला हिस्सा गिरा था।
माता का सिर अघोर पर्वत पर गिरा था, इसलिए पाकिस्तान के इस स्थान को मां भगवती के प्रथम शक्तिपीठ के रूप में जाना जाता है। (वैष्णो देवी माता की रहस्यमयी कहानियां)
मान्यता है कि माता के मस्तिष्क के दो हिस्से हुए थे, जो दो जगहों पर गिरे थे। इसमें एक जगह पाकिस्तान प्रान्त का बलूचिस्तान है और दूसरा राजस्थान का काठियावाड़ इलाका है। नवरात्रि के मौके पर यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिलती है।
कहां स्थित है मंदिर?
हिंगलाज शक्तिपीठ पाकिस्तान के सिंध में स्थित है। कहा जाता है कि यहां पहुंचना अमरनाथ की यात्रा से भी ज्यादा कठिन है। क्योंकि यहां पहुंचने के लिए 1000 फीट ऊंचे पहाड़ों का सफर करना पड़ता है।
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