Nirjala Ekadashi 2022: इस तरह की जाती है निर्जला एकादशी पर पूजा, जानें महत्व

Update: 2022-06-09 14:22 GMT
Nirjala Ekadashi 2022: इस तरह की जाती है निर्जला एकादशी पर पूजा, जानें महत्व
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Nirjala ekadashi 2022: निर्जला एकादशी को साल की सबसे बड़ी एकादशी माना जाता है। ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी के दिन वरियान योग और चंद्रमा की स्थिति कन्या राशि पर है। इस दिन व्रत रखकर प्राणी सभी एकादशी का पुण्य ले सकता है। इस दिन पूरे दिन जल ग्रहण नहीं किया जाता। इसलिए रोगी और बच्चे, बुजुर्ग इस व्रत को न करें।

इस दिन ब्रह्ममुहुर्त में स्नान कर पवित्र हों। भगवान विष्णु की पूजा आराधना व आरती भक्ति भाव से विधि-पूर्वक संपन्न करें। महिलाएं पूर्ण श्रृंगार कर मेहंदी लगाएं। इसके बाद भगवान के नाम का लेते हुए दिन व्यतीत करें। इस दिन सोना नहीं चाहिए। पूजन करने के बाद कलश के जल से पीपल के वृक्ष को अर्घ्य दें। दूसरे दिन सुबह स्नान कर भगवान विष्णु की प्रतिमा या पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक जलाकर प्रार्थना करें। इसके बाद ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा में शीतल जल से भरा घड़ा, अन्न, वस्त्र, छाता, पान, शैय्या, आसन, पंखा, सुवर्ण और गो का दान करें।
इस दिन वैसे तो सभी को दान करना चाहिए, लेकिन व्रतियों को यथाशक्ति अन्न, जल, वस्त्र, आसन, जूता, छतरी, पंखा, फल आदि का दान करना चाहिए। जल कलश का दान करने वाले श्रद्धालुओं को वर्ष भर की एकादशियों का फल प्राप्त होता है।


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