आर्थिक संकट और दुखों से चाहिए मुक्ति, तो आज करें श्रीगणेश स्तोत्रम् पाठ

आज बुधवार का दिन विघ्नविनाशक श्री गणेश जी की पूजा अर्चना के लिए समर्पित है.

Update: 2022-06-15 02:17 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आज बुधवार का दिन विघ्नविनाशक श्री गणेश (Lord Ganesha) जी की पूजा अर्चना के लिए समर्पित है. इस दिन आप गणेश जी की पूजा करते हैं, तो आपके कार्य सफल होंगे, सुख और समृद्धि प्राप्त होगी. गणपति बप्पा अपने भक्तों को संकटों से भी रक्षा करते हैं. पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र बताते हैं कि यदि आप आ​र्थिक संकट में फंसे हुए हैं, आप पर कर्ज का बोझ है, जिससे आप उबर नहीं पा रहे हैं, तो इससे मुक्ति पाने का आसान उपाय है ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र (Rinharta Ganesh Stotra) का पाठ करना. ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र का पाठ कैसे करें, आइए जानते हैं इसके बारे में.

ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र की पाठ विधि
बुधवार को प्रात: स्नान के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें, उसके बाद गणेश जी को जल से अभिषेक करें. फिर उनको लाल पुष्प, चंदन, कुमकुम, फल, फूल माला, वस्त्र, दूर्वा, मोदक आदि चढ़ाएं. गणेश पूजन के बाद ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र का पाठ करें. सबसे पहले गणेश जी का ध्यान करें, फिर स्तोत्र पढ़ें.
ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र
ध्यान
ॐ सिन्दूर-वर्णं द्वि-भुजं गणेशं लम्बोदरं पद्म-दले निविष्टम्।
ब्रह्मादि-देवैः परि-सेव्यमानं सिद्धैर्युतं तं प्रणामि देवम्।।
पाठ
सृष्ट्यादौ ब्रह्मणा सम्यक् पूजित: फल-सिद्धए।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।।1।।
त्रिपुरस्य वधात् पूर्वं शम्भुना सम्यगर्चित:।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।।2।।
हिरण्य-कश्यप्वादीनां वधार्थे विष्णुनार्चित:।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।।3।।
महिषस्य वधे देव्या गण-नाथ: प्रपुजित:।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।।4।।
तारकस्य वधात् पूर्वं कुमारेण प्रपूजित:।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।।5।।
भास्करेण गणेशो हि पूजितश्छवि-सिद्धए।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।।6।।
शशिना कान्ति-वृद्धयर्थं पूजितो गण-नायक:।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।।7।।
पालनाय च तपसां विश्वामित्रेण पूजित:।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।।8।।
इदं त्वृण-हर-स्तोत्रं तीव्र-दारिद्र्य-नाशनं,
एक-वारं पठेन्नित्यं वर्षमेकं सामहित:।
दारिद्र्यं दारुणं त्यक्त्वा कुबेर-समतां व्रजेत्।।
ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र का पाठ करने के बाद गणेश जी की आरती करें. गणेश जी की आरती के लिए घी के दीपक का उपयोग करें, तो उत्तम रहेगा.
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