Navratri 9th Day: कल देवी सिद्धिदात्री की पूजा, सब सिद्धियों को देने वाली हैं मां सिद्धिदात्री

नवरात्रि के आखिरी दिन यानि नवमी को दुर्गाजी के नवें स्वरुप माँ सिद्धिदात्री की उपासना की जाती है।

Update: 2021-04-20 13:38 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क:  नवरात्रि के आखिरी दिन यानि नवमी को दुर्गाजी के नवें स्वरुप माँ सिद्धिदात्री की उपासना की जाती है। माँ का यह रूप सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाला है। इनकी उपासना से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। भक्त इनकी पूजा से यश, बल, कीर्ति और धन की प्राप्ति करते हैं। माँ भगवती का स्मरण, ध्यान, पूजन हमें इस संसार की असारता का बोध कराते हुए वास्तविक परम शांतिदायक अमृत पद की ओर ले जाता है।

आठों सिद्धियां प्रदान करती हैं मां
मार्कण्डेय पुराण के अनुसार अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व ये आठ सिद्धियां हैं। माँ सिद्धिदात्री भक्तों और साधकों को ये सभी सिद्धियां प्रदान करने में समर्थ हैं। देवी पुराण के अनुसार भगवान शिव ने इनकी कृपा से ही इन सिद्धियों को प्राप्त किया था। इनकी अनुकम्पा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ था,इसी कारण वह इस लोक में अर्धनारीश्वर नाम से प्रसिद्ध हुए। इस दिन शास्त्रीय विधि-विधान और पूर्ण निष्ठा के साथ साधना करने वाले साधक को सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है। सृष्टि में कुछ भी उसके लिए अगम्य नहीं रह जाता,सर्वत्र विजय प्राप्त करने की सामर्थ्य उसमें आ जाती है। सिंह पर सवार,कमल पुष्प पर आसीन,अत्यंत दिव्य स्वरुप वाली माँ सिद्धिदात्री चारभुजाओं वाली हैं।इनके दाहिने तरफ के नीचे वाले हाथ में चक्र,ऊपर वाले हाथ में गदा तथा बायीं तरफ के नीचे वाले हाथ में शंख और ऊपर वाले हाथ में कमल पुष्प है।सिद्धिदात्री देवी सरस्वती का भी स्वरुप माना गया है जो श्वेत वस्त्रालंकार से युक्त महाज्ञान और मधुर स्वर से अपने भक्तों को सम्मोहित करती हैं।
पूजा विधि-
सर्वप्रथम कलश की पूजा करके व उसमें स्थापित सभी देवी-देवताओ का ध्यान करना चाहिए। रोली,मोली,कुमकुम,पुष्प चुनरी आदि से माँ की भक्ति भाव से पूजा करें। हलुआ,पूरी,खीर,चने,नारियल से माता को भोग लगाएं। इसके पश्चात माता के मंत्रो का जाप करना चाहिए। इस दिन नौ कन्याओं को घर में भोजन करना चाहिए। कन्याओं की आयु दो वर्ष से ऊपर और 10 वर्ष तक होनी चाहिए और इनकी संख्या कम से कम 9 तो होनी ही चाहिए। नव-दुर्गाओं में सिद्धिदात्री अंतिम है तथा इनकी पूजा से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।इस तरह से की गई पूजा से माता अपने भक्तों पर तुरंत प्रसन्न होती है। भक्तों को संसार में धर्म,अर्थ,काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
देवी सिद्धिदात्री का आराधना का मंत्र-
सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि,
सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।
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