अखंड ज्योति जलाने का महत्व
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, नवरात्र के नौ दिनों में मां के नौ स्वरूपों की पूजा-अराधना की जाती है। नवरात्र में मां को प्रसन्न करना ज्यादा आसान है इसलिए मां के भक्त उपवास रखते हैं और पहले दिन कलश स्थापना के बाद अखंड ज्योति जलाते हैं। मान्यता है कि जो भी भक्त संकल्प लेकर अखंड ज्योति जलाता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही दीपक के सामने जप करने से साधक को हजार गुना फल मिलता है। लेकिन इसके कुछ नियम भी होते हैं, जिनका पालन करना आवश्यक होता है।
अखंड ज्योति जलाने के नियम
1- अखंड ज्योति जलाने के बाद उसको कभी भी अकेला नहीं छोड़ना चाहिए। कोई न कोई उसकी देखभाल के लिए होना चाहिए। नवरात्र में अखंड ज्योति जलाए रखने से परिवार में सुख-शांति के साथ समृद्धि भी आती है और परिवार के सदस्यों की प्रगति भी होती है। ज्योति के प्रकाश से सभी तरह की समस्याएं खत्म होती हैं और मां का आशीर्वाद भी मिलता है, जिससे जीवन में सदैव प्रकाश बना रहता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
2- अखंड ज्योति जलाने से पहले मन में संकल्प लें और मां से इस संकल्प को पूरा करने का आशीर्वाद मांगे। अखंड दीपक को हमेशा पटरी या चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर रखें। अगर जमीन पर रखते हैं तो उसके नीचे अष्टदल बना लें और उसके उपर दीपक जला दें।
3- अखंड दीपक की ज्योत रक्षासूत्र से बनाई जाती है। सवा हाथ का रक्षासूत्र दीपक के बीचोंबीच रख दें। अखंड ज्योति के लिए शुद्ध देसी घी का इस्तेमाल करें। अगर घी नहीं है तो सरसों के तेल या तिल के तेल का इस्तेमाल कर सकते हैं।
4- ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, अखंड ज्योति मां दुर्गा के दाईं ओर रखें और अगर सरसों के तेल का दीपक है तो बाईं ओर रखें।
5- अखंड ज्योति जलाने से पहले भगवान गणेश, भगवान शिव और मां दुर्गा का ध्यान करें फिर 'ओम जयंती मंगला काली भद्रकाली कृपालिनी दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते' मंत्र का जप करें। फिर अखंड ज्योति जलाएं। नौ दिन बाद दीपक को बुझाएं नहीं बल्कि स्वयं बुझने दें।