Navratri 2021: जानें नवरात्रि में क्यों करते हैं कलश स्थापना?

नवरात्रि में पूजा करने और व्रत रखने के साथ ही कलश स्थापना का अति महत्वपूर्ण स्थान होता है. कहा जाता है कि कलश स्थापना के बिना पूजा अधूरी रहा जाती है. नवरात्रि व्रत और पूजा का पूरा फल प्राप्त नहीं होता है

Update: 2021-09-14 09:20 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Sharadiya Navratri 2021: हिंदी पंचाग के अनुसार वैसे तो साल में 4 बार नवरात्रि आती है. परंतु इसमें प्रमुख रूप से 2 नवरात्रि को अधिक महत्ता प्रदान की गई है. बाकी दो नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि की संज्ञा दी गई है. दो प्रमुख नवरात्रियों में चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि हैं. हिंदी पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि की शुरुआत अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है. कैलेंडर के मुताबिक़, साल 2021 की शारदीय नवरात्रि 7 अक्टूबर 2021 दिन गुरुवार से शुरू होगी और 5 अक्टूबर 2021 दिन शुक्रवार को समाप्त होगी. पुराणों में शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व बताया गया है. तभी लोग इन नवरात्रि का इंतजार बेसब्री से करते हैं.

क्यों करते हैं कलश स्थापना
नवरात्रि में पूजा करने और व्रत रखने के साथ ही कलश स्थापना का अति महत्वपूर्ण स्थान होता है. कहा जाता है कि कलश स्थापना के बिना पूजा अधूरी रहा जाती है. नवरात्रि व्रत और पूजा का पूरा फल प्राप्त नहीं होता है. शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि का पहला दिन अति महत्वपूर्ण होता है. प्रतिपदा तिथि यानी नवरात्रि के पहले दिन ही कलश स्थापना की जाती है. मान्यता है कि कलश को भगवान विष्णु का रूप माना जाता है. इसलिए नवरात्रि पूजा से पहले घट स्थापना या कलश की स्थापना की जाती है.
शास्त्रों में कलश को विश्व ब्रह्मांड का, विराट ब्रह्म का, भू-पिंड (ग्लोब) का प्रतीक माना जाता है. यह शांति और सृजन का संदेशवाहक भी है. मान्यता है कि संपूर्ण देवता कलशरूपी पिंड या ब्रह्मांड में व्यष्टि या समष्टि में एकसाथ समाहित हैं. वे सभी देवता एक हैं और ये एक ही शक्ति से संबंधित है. यह कलश यह बताता है कि वस्तुत: एक देववाद का ही एक रूप है. एक माध्यम में, एक ही केंद्र में समस्त देवताओं को देखने के लिए कलश की स्थापना की जाती है


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