मकर संक्रांति पर जरूर गाएं ये आरती, बनी रहेगी असीम कृपा
14 जनवरी को पूरे देश में मकर संक्रांति का त्यौहार मनाया जाएगा।
जनता से रिश्ता वेबडेसक | 14 जनवरी को पूरे देश में मकर संक्रांति का त्यौहार मनाया जाएगा। इस दिन जप, तप, स्नान और दान का महत्व बेहद विशेष होता है। सनातन धर्म में मकर संक्रांति का महत्व अत्याधिक है। पौष मास के दौरान जब सूर्य, मकर राशि में प्रवेश करते हैं तब मकर संक्रांति का त्यौहार मनाया जाता है। ज्योतिषों के अनुसार इस मकर संक्रांति पर कई विशेष संयोग बन रहे हैं जो इस दिन या त्यौहार को और भी शुभ बनाते हैं। यह दिन सूर्यदेव को समर्पित होता है। ऐसे में इस दिन उनकी पूजा पूरे विधि-विधान के साथ की जानी चाहिए। सूर्यदेव की पूजा करते समय उनकी आरती जरूर करनी चाहिए। मकर संक्रांति पर सूर्यदेव की एक विशेष आरती गाई जाती है जिसकी जानकारी हम आपको यहां दे रहे हैं।
मकर संक्रांति विशेष आरती:
ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।
अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।
फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।
गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।
स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।
प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।
वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।
ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।