बृहस्पतिवार के दिन जरूर पढ़ें ये 11 वचन, साईं बाबा की बरसेगी अनंत कृपा

बृहस्पतिवार के दिन लोग बृहस्पति देव या विष्णु भगवान (Lord Vishnu) की अराधना करते हैं

Update: 2022-02-24 18:24 GMT

Sai Baba Special: बृहस्पतिवार के दिन लोग बृहस्पति देव या विष्णु भगवान (Lord Vishnu) की अराधना करते हैं जबकि साईं बाबा के भक्त बृहस्पति के दिन पीले वस्त्र पहनकर सच्चे मन से साईं बाबा की पूजा करते हैं. हालांकि साईं बाबा की पूजा का कोई नियम नहीं होता. लेकिन ऐसी मान्यता है कि यदि पूजा के दौरान (Sai Baba) उनके 11 वचनों को बोला जाए तो साईं बाबा जल्दी प्रसन्न होते हैं. साईं बाबा के ये 11 वचन (Sai Baba 11 Vachan) भक्तों के लिए बहुत अनमोल होते हैं. जानते हैं साईं बाबा के 11 वचन…

पहला वचन – 'जो शिरडी में आएगा, आपद दूर भगाएगा.'
– इस वचन का अर्थ है साईं बाबा की नगरी शिरडी में आकर हर परेशानियों का हल मिलता है.

दूसरा वचन – 'चढ़े समाधि की सीढ़ी पर, पैर तले दुख की पीढ़ी पर.'
– इस वचन का अर्थ है कि शिरडी में साईं मंदिर में जाकर बाबा के दर्शन करने से सभी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं. 
तीसरा वचन – 'त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु दौड़ा आऊंगा'
साईं बाबा के लिए उनके भक्त सबकुछ हैं. इस वचन का अर्थ है कि भक्तों के पुकारते ही साईं बाबा मदद के लिए दौड़े चले आएंगे. भले ही शरीर त्याग दिया हो.

चौथा वचन – 'मन में रखना दृढ़ विश्वास, करे समाधि पूरी आस'
इस वचन का अर्थ है कि यदि भक्तों के मन में श्रद्धा है तो समाधि पर आने पर उनकी हर इच्छाएं पूरी हो जाएंगी.

पांचवा वचन – 'मुझे सदा जीवित ही जानो, अनुभव करो सत्य पहचानो'
इस वचन का अर्थ है कि मैं हमेशा जीवित ही हूं. एक बार अनुभव करके देखो.

छठा वचन- -'मेरी शरण आ खाली जाए, हो तो कोई मुझे बताए'
इस वचन का अर्थ है कि मेरे शरण में आने वाले की हर मनोकामना पूरी होंगी.

सातवां वचन 'जैसा भाव रहा जिस जन का, वैसा रूप हुआ मेरे मन का'
इस वचन का अर्थ है कि व्यक्ति का जैसा भाव होता है मैं उस व्यक्ति को वैसा ही दिखाई देता हूं.

आठवां वचन – 'भार तुम्हारा मुझ पर होगा, वचन न मेरा झूठा होगा'
इस वचन का अर्थ है कि श्रद्धा भक्ति से यदि कोई व्यक्ति मेरे पास आता हैं तो उसकी मदद के लिए मैं हमेशा तैयार हूं.

नौवां वचन – 'आ सहायता लो भरपूर, जो मांगा वो नहीं है दूर'
इस वचन का अर्थ है कि मुझसे जो कोई भक्ति-भाव से मदद की उम्मीद रखेगा, उसकी हर मुराद पूरी होगी.

दसवां वचन – मुझमें लीन वचन मन काया, उसका ऋण न कभी चुकाया'
इस वचन का अर्थ है कि जो भक्त तन, मन, वचन तीनों से मुझी में लीन है, उस भक्त का मैं हमेशा ऋणी रहूंगा.

ग्यारहवां वचन – 'धन्य धन्य व भक्त अनन्य , मेरी शरण तज जिसे न अन्य'
इस वचन का अर्थ है कि जो अनन्य भाव से भक्ति में लीन हैं वे भक्त धन्य हैं.


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