Motivational Story: लालच बुरी बला हैं, जानिए इसकी रोचक कहानी
हम बचपन से सुनते आ रहे हैं कि लालच नहीं करना चाहिए। लालच बुरी बला है। लेकिन फिर भी हम सभी में लालच का भाव आ ही जाता है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| हम बचपन से सुनते आ रहे हैं कि लालच नहीं करना चाहिए। लालच बुरी बला है। लेकिन फिर भी हम सभी में लालच का भाव आ ही जाता है। हम सभी में संतोष होना बेहद जरूरी है। अगर ऐसा न हुआ तो वो कहते हैं न लालच या दुविधा में दोनों गए माया मिली न राम। आज की कहानी इसी सीख पर आधारित है। यहां हम आपको बता रहे हैं लालच की दौड़ पर आधारित यह कहानी।
एक आदमी को एक बार यह पता चला कि साइबेरिया में बेहद सस्ती जमीन उपलब्ध है। यह सुनकर उसमें लालच आने लगा। उसने अपना सभी सामान बेचा और अगले ही दिन साइबेरिया के लिए चल दिया। साइबेरिया पहुंचकर वह एक सेठ के पास गया और जमीन खरीदने की इच्छा जाहिर की। सेठ ने कहा कि ठीक है। जितना भी पैसा है तुम्हारे पास उसे यहां दे दे। कल सुबह सूरज की पहली किरण के साथ तुम चलना शुरू करना। सूरज के डूबने तक तुम्हें उसी जगह वापस आना होगा जहां से तुम चले थे। जितना तुम चलोगे उतनी जमीन तुम्हारी होगी।
यह सुनकर वह आदमी खुश हो गया और रातभर योजना बनाई। वह सोचता रहा कि वो कितनी जमीन ले। उसने सोचा की सुबह निकलकर 12 बजे तक पुन: लौटना शुरू करेगा। इससे वह सूरज डूबते-डूबते पहुंत जाएगा। सुबह होती ही वह भाग पड़ा। कई मील चलते-चलते 12 बज चुके थे। लेकिन उसका लालच उसे और दूर ले गया। उसने सोचा कि वो वापसी में दौड़ लेगा। यह लालच की दौड़ करीब 3 बजे तक चली। फिर उसने लौटने का निर्णय लिया। लेकिन तब तक उसकी हिम्मत खत्म हो चुकी थी। वापस आने में उसने अपनी पूरी ताकत लगा दी और लक्ष्य के बेहद करीब पहुंच चुका था। सूरज भी अस्त होने ही वाला था।
फिर वह वापस आते-आते कुछ गज की दूरी पर गिर पड़ा। घिसटते हुए वह उस जगह तक पहुंचा जहां से वो चला था और इस दौरान सूरज भी डूब चुका था। सिर्फ यही नहीं, वह आदमी भी मर गया था दिल के दौरे से। यह देख सेठ हंसने लगा और कहा कि जीने का समय कहां है भाई सभी तो भाग रहे हैं।
सीख: सुख-सुविधाओं के पीछे भागने से अच्छा है कि हम अपना जीवन भरपूर जिएं। हम अपने लालच में उन चीजों को भी छोड़ देते हैं जो हमारे लिए बहुत होता है। लालच करना हमेशा से ही बुरी बला है।