सारे संसार की रक्षा करती हैं मां कूष्मांडा, जाने इसका इतिहास

Update: 2022-09-29 05:17 GMT

नवरात्र के चतुर्थ दिन मां कूष्‍मांडा की उपासना की जाती है। मां कूष्‍मांडा की पूजा से सभी रोग दोष नष्‍ट हो जाते हैं। नवरात्र में चौथे दिन की अधिष्‍ठात्री देवी मां कूष्‍मांडा हैं। मां ब्रह्मांड के मध्‍य में निवास करती हैं और पूरे संसार की रक्षा करती हैं। मां कूष्मांडा के पूजन से यश, बल और धन में वृद्धि होती है।

जब चारों ओर घनघोर अंधेरा था, तब मां कूष्मांडा ने अपनी हंसी से इस ब्रह्मांड की रचना की, जिसकी वजह से उनका नाम कूष्मांडा पड़ा। मां को आदिशक्ति भी कहा गया है। सूर्य मंडल का अंतःस्थल ही मां का वास है। इस सृष्टि में जो भी प्रकाशित या तेजवान है, वह सभी मां कूष्मांडा के तेज से ही प्रकाशवान है। पवित्र मन से मां का ध्‍यान कर आराधना करनी चाहिए। जो मनुष्‍य सच्‍चे मन से मां की पूजा करते हैं, उन्‍हें आसानी से परम पद की प्राप्ति होती है। मां कूष्‍मांडा को अष्‍टभुजाओं वाली देवी भी कहा जाता है। मां सिंह पर सवार हैं। नवरात्र के चतुर्थ दिन उपासक का मन अनाहत चक्र में उपस्थित रहता है। प्रात: काल स्‍नान से निवृत्त होने के बाद मां कूष्‍मांडा को लाल रंग का पुष्‍प, गुड़हल या फिर गुलाब अर्पित करें। मां को सिंदूर, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें। मां की पूजा करते वक्त हरे रंग के वस्‍त्र धारण करें। मां को दही और हलवे का भोग लगाया जाता है। मां कूष्मांडा की उपासना से भक्तों को सभी सिद्धियों की प्राप्ति होती है।


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